
प्रतिसंसार :: आदित्य शुक्ल मूलभूत प्रस्ताव: हम सबके पास सत्य है इसीलिए किसी के पास सत्य नहीं है. जब भी कोई विमर्श शुरू होता है वह इसी मूलभूत मान्यता से अस्तित्व में आता है कि वह आपको सत्य तक पहुंचा देगा. दुनिया की सभी भाषाओं, सभ्यताओं ने अपने-अपने समय में अपने-अपने तरीके से सत्य का अन्वेषण किया है. अगर हम अपना विमर्श भी सत्य-केन्द्रित रखेंगे तो हमारा भी वही हश्र होगा जो दूसरी भाषाओं और सभ्यताओं...