
कहानी :: जस्ट डांस : कैलाश वानखेड़े मुख्यतः स्वानुभूत और सहानुभूत के अंतर अथवा विपर्यय एवं अम्बेडकरवादी विचारधारा का आधार लेकर दलित साहित्य की तमाम धाराओं, विधाओं और लेखनी को सामान्य या कि कथित मुख्यधारा के साहित्य से अलगाया जाता है. पारम्परिक पाठकों को अस्मितावाद अथवा अम्बेडकरवाद अथवा दलितवाद की ख़ुराक उतनी ही पसंद है जिसमें उनकी अपनी चुटिया न खुलती हो, उनका खुद का गुप्त-प्रकट तिलक-छापा...