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इधर-उधर के विचार ‘इन द टाइम ऑफ़ कोरोना’

नए रास्ते :: साहित्य और कोरोनाकाल : अंचित कोरोना और साहित्य के सम्बन्ध में कुछ सीधा कहने और बोलने से बचता रहा था अभी तक. इधर सत्यम ने अपने चैनल के लिए कुछ बोलने की बात की तो मुझको लगा कि थोड़ी बात करनी चाहिए और यह लेख उसी बातचीत के बाद, प्रभात भाई के कहे अनुसार लिख रहा हूँ. जैसा बातचीत में कहा था, बहुत सारे डिस्क्लेमरों के साथ बात करूँगा और जो थोड़ा-बहुत इन दिनों पढ़ता रहा, उसको सिलसिलेवार ढंग से...

सिर्फ़ ईश्वर जानता है मैं तुमसे कितना प्यार करता हूँ

उद्धरण :: गेब्रियल गार्सिया मार्केज अनुवाद और प्रस्तुति : अंचित लव इन द टाइम्ज़ ऑफ़ कॉलरा, मार्केज की अमर कृति है और एक वैश्विक महामारी के समय में एक आधी शताब्दी से इंतज़ार करते आदमी को उसका प्रेम वापस मिल जाने की कहानी है। प्यार से छूट जाने के बाद, सिर्फ़ प्यार के दोबारा मिल पाने की उम्मीद और इंतज़ार की आस्था में जिया जा सकता है। मार्केज की यह कथा, अकेले छूट गए प्रेमियों के स्वप्नों में उम्मीद...

जा रहे हम

संजय कुंदन की कविता : जा रहे हम
प्रस्तुति : अंचित

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संजय कुंदन चर्चित कवि-कथाकार हैं। उनसे sanjaykundan2@gmail.com पर संपर्क किया जा सकता है।
 

आधी रोटी पूरा चाँद

गद्यांश : अमृता प्रीतम अमृता प्रीतम (१९१९-२००५) हिंदी और पंजाबी भाषा की मशहूर लेखिका हैं, जिनका परिचय उनकी रचनाओं के माध्यम से सशक्त रूप से मिलता है. उनकी रचनाएँ जैसे पिंजर, किसी तारीख़ को, मन मिर्ज़ा तन साहिबां, कच्ची सड़क आदि समय-समय पर पाठकों से वार्तालाप करती रही हैं. पंजाबी और हिंदी दोनों ही भाषाओँ पर उनकी समान पकड़ है. प्रस्तुत दो गद्यांश उनकी चिरपरिचित आत्मकथा ‘रसीदी टिकट’ से साभार...

अच्छा साहित्य अपने समय की सबसे तीक्ष्ण विवेचना होता है

पाठकों के नाम ख़त :: प्रिय पाठक, पिछले कुछ समय में इंद्रधनुष कई बड़ी चुनौतियों से जूझता रहा. कई तरह के हमले हुए और लगातार कामों में व्यवधान आते रहे. तकनीक के समय में कई बार नुक़सान पहुँचाना आसान हो जाता है -ख़ास कर ऐसे समय में जब आपकी तर्कशक्ति और आपका विवेक, भीड़तंत्र को सबसे बड़ा शत्रु लगता है. हमारे कंटेंट ने कई लोगों को परेशान तो किया ही तभी हमले हुए- यही हमारी सफलता भी है, ऐसा मुझको लगता है...

जिंदगी बोतल में बंद हसीना है

राजेश कमल की कविताएँ :: 1. एक रूठे हुए दोस्त के लिए ये खुशियों के पल निठल्ले नहीं हैं बुहार ले जायेगा वक़्त इन्हें और हम देखते रह जायेंगे हाथ हिलाते रह जायेंगे यूँ ही और इन विरल लम्हों में रूठ जाते हो तुम जरा-जरा सी बात पर सुनो दोस्त इत्ती सी बात पर रूठो मत, कि आज के दौर में मुस्कुराने के सबब मुश्किल से मिलते हैं 2. कविता वह एक खूबसूरत कविता थी मैं हर पल उसे गुनगुनाता उसके शब्दों में खोया रहता...

बंदीगृह के झरोखे से

गद्य : उत्कर्ष बंदीगृह के झरोखे से :: भाग :१ यहाँ कोई गौरैया नहीं दिखाई देती. यहाँ कोई कोयल भी नहीं. हालाँकि जिसने कभी गौरैया ना देखा हो, या कोयल की कूक भी ना सुनी हो, इस अनुभव के स्वाद को कैसे जान सकता है! यहाँ दीवारें इतनी लम्बी हैं कि सूरज दोपहर को थोड़ा ही झाँक सकता है भीतर, जैसे रौशनी को छाँटने की कवायद में उम्मीद के पर कतरे गए हों. यह है भी महल तो क्या, अट्टालिकाएँ भी हैं तो क्या, दीवारें तो...

वे रख आए हैं गंगा के द्वार पर विष्पात्र

अरुण कमल की कुछ काव्य-पंक्तियाँ :: चयन और प्रस्तुति : स्मृति चौधरी   अरुण कमल के काव्य-संसार से मेरा पहला परिचय तब हुआ था जब मैं स्कूल में थी। ‘नए इलाके में’ हमारी हिंदी पाठ्यक्रम का भाग हुआ करता था। अगले साल मैं बहुत समय बाद उस शहर गई जहाँ मेरा बचपन बीता था, और वहाँ की गलियों से गुज़रते वक्त मेरे दिमाग में उस कविता की कुछ पंक्तियां गूँजने लगी। “यहाँ रोज़ कुछ बन रहा है रोज़ कुछ घट रहा है यहाँ...

इंद्रधनुष की पहली वर्षगाँठ पर प्रधान सम्पादक की चिट्ठी

प्रधान सम्पादक की चिट्ठी :: प्यारे दोस्तों इंद्रधनुष की औपचारिक शुरुआत हुए आज एक वर्ष हो गया. पिछला एक साल कई तरह की चुनौतियों, अनुभवों और संतुष्टियों को देने वाला रहा. सबसे पहले तो संस्था के तौर पर, हमलोग नए हैं, युवा हैं और अभी भी अपने होने की वजहों, अपने होने से पैदा हुई चुनौतियों और हमारे होने से परेशान होने वाले सत्ता प्रतिष्ठानों – इन सब से एक साथ जूझ रहे हैं. समय के साथ आप उत्तेजना...

धरती फ़ेसबुक का फ़र्ज़ी अकाउंट नहीं है

विनोद विट्ठल की कविताएँ ::  1.अड़तालीस साल का आदमी अड़तालीस की उम्र अस्सी प्रतिशत है ज़िंदगी का आख़िर के आधे घंटे की होती है फ़िल्म जैसे चाँद के साथ रात के आसमान में टँक जाती है कुछ चिंताएँ गीतों की जगह याद की डायरी में दर्ज़ हो जाती है कुछ गोलियाँ रविवार नियत हो जाता है लिपिड प्रोफ़ायल जैसे कुछ परीक्षणों के लिए हर शाम डराते हैं इंवेस्टमेंट उड़ते बालों की तरह कम होती रहती है एफडी की ब्याज़ दर मेडिक्लेम के...