लोग और लोग :: जंगल में सामुदायिक रंगमंच और रेबेका : हृषीकेश सुलभ वह सन 2013 के अक्तूबर महीने की ढलती हुई दोपहर थी. जब मैं स्वप्निल के साथ बर्कली से चला, सेन फ्रांससिको के समुद्र–तट से रोज़ उठनेवाला कुहासा खाड़ी को पार करते हुए बर्कली के आकाश पर छाने लगा था. चमकती हुई धूप नरम हो रही थी और हवाओं का शोर तेज़ हो रहा था. हम बे–ब्रिज से सेन फ्रांसिसको पहुँचे और फिर प्रशांत महासागर के...
जंगल में सामुदायिक रंगमंच और रेबेका
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