
कविताएँ :: पाब्लो नेरूदा अनुवाद एवं लेख : रामकृष्ण पाण्डेय नेरूदा का अनुवाद अनुवाद कर्म को कुछ लोग हेय दृष्टि से देखते हैं. और कुछ लोग प्रशंसा के भाव से. मुझे लगता है कि अनुवाद करना एक सामाजिक कृत्य है. ठीक उसी तरह जैसे कविता-कहानी लिखना. जैसे असामाजिक आदमी रचनाकार नहीं हो सकता, वैसे ही जो लोग अनुवाद को हेय दृष्टि से देखते हैं, उनमें मुझे सामाजिकता का अभाव नज़र आता है. अनुवाद को लेकर एक और समस्या...