नए पत्ते::
कविताएँ: केतन यादव

 

बैकअप

स्मृतियाँ तुम्हारे प्रेम की क्षतिपूर्ति स्वरूप मिलीं
जो तुम्हारे होने का भ्रम बनाए रखती हैं सदा।

बाँट लेता हूँ  तुम्हारी अनुपस्थिति फेसबुक, इंस्टाग्राम से
हर स्क्रोल में दिख जाता है हमारा साथ बिखरा पड़ा रील्स दर रील्स
मोबाइल के की-पैड पहचानते हैं तुम्हारा नाम
एक अक्षर टाइप होते ही पहुँचा देते हैं संवाद के आख़िरी शब्द तक,
जिसे यह सदी कहती है ऑटोसजेशन
वह तुम्हारी स्मृतियों का मशीनी षडयंत्र भर है।

याद रहती हो तुम
उन अनगिन पासवर्डों सी
जिसे बदलने की चेष्टा में
गुजरना होगा मुझे
तुम्हारे साथ की सभी तारीख़ों से।

सुबह-सुबह अपना पहला चेहरा शीशे में देखते ही
जैसे ऑन हो जाता हो कोई वीडियो कॉल
अनछुए स्पर्श की कचोट से भर जाता है पूरा वातावरण।

मन की सीक्रेट गैलरी में तुम्हारी कितनी ही तस्वीरें सुरक्षित रहीं
जिनके पास नहीं है विकल्प शिफ्ट प्लस डिलीट का,
प्रेम स्मृतियों का बैकअप है
कभी जो करप्ट हुआ कोई किस्सा
तो एक सिरा छूते ही खुल जाती है पूरी कहानी।

पता

मुझे बंद आँखों से पढ़ा जाए
कान बंद करके सुना जाए
साँसें मेरी ब्रेल लिपि में होतीं हैं
मेरा जीवन सिंधु घाटी की लिपि का हस्ताक्षर है
मैं चाहता हूँ मुझे उतना समझा जाए
जितना बहुत कुछ समझकर कुछ छूट ही जाता है समझना
साइन थीटा कॉस थीटा के फॉर्मूलों पर
हल नहीं हो सकी हैं मेरी पैरों से बनाई रेखाएँ
पीरियोडिक टेबल में बिठाए तत्वों में से
कोई भी नहीं है मेरे आँखों के उपेक्षित द्रव जैसा
मैं नासमझी से समझा जा सकता
भूल भूल कर याद किया जा सकता
नज़र अंदाज़ करके दीख सकता हूँ
दुनिया के आख़िरी तक जो भाषा समझी और पढ़ी न जा सके
मैं उसका अनुवाद करना चाहता हूँ।

पहली प्रेमिका

नस-नस चूमता हुआ थाह पा लेता है प्रेम
किरणों सा
मचल उठता है वक्ष पर
भर देता है प्राण
हर लहर छू लेती है नया जीवन,
सृजन में
नदी पहली प्रेमिका होती है सूरज की।

•••

इंद्रधनुष लगातार अपने स्तंभ ‘नए पत्ते’ के ज़रिए बिलकुल नए कवियों की कविताएँ प्रकाशित करता रहा है। केतन यादव नए आते हुए कवि हैं और इलाहाबाद विश्वविद्यालय में स्नातकोत्तर हिन्दी के छात्र हैं। उनसे yadavketan61@gmail.com पर बात हो सकती है।

Categorized in:

Tagged in: