
2022 में यूक्रेन पर रूस के हमले तक आते आते हमारी दुनिया में बहुत कुछ जो ढँका छिपा सा लग सकता था, और ज़ाहिर हुआ। पूँजी के काम करने के तरीके में कोई बदलाव तो नहीं आया पर पूँजी ने अपने आवरण उतार दिए हैं और अब वह अपनी कुरूपता के उल्लास को बहुत खुल कर ज़ाहिर कर रही है, अब इसके लिए किसी को यक़ीन दिलाने की ज़रूरत नहीं है। आने वाला समय पूँजी की सत्ता के आम जन में विधिमान्यकरण (legitimization) का समय है...