
सम्पादकीय : अंचित समय के गुज़रने, कुछ बीत जाने और कुछ नया आने, इतिहास की गति और यह कि कोई यात्रा चल रही है, कि हम कहीं जा रहे हैं— मानव विकास की यात्रा में यह भी कोई स्टेज है, इस क्षण की ओर उम्मीद से देखते हुए, इसको बीत गए और आने वाले से अलग रखते हुए भी व्यापक निराशा से मुँह नहीं मोड़ा जा सकता— ठीक वैसे ही जैसे उम्मीद और उदासीनता में अंतर किए बिना लक्ष्य, असल बदलाव का होना चाहिए. दृश्य का बदलना—...