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कहानियाँ /
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  • कब्ज़ा कर लिया गया मकान - कहानी :: जुलिओ कोर्टाज़ार अंग्रेजी से अनुवाद : श्रीविलास सिंह कब्ज़ा कर लिया गया मकान हमें मकान पसंद था, पुराना…
  • सकीना की चूड़ियाँ - कहानी :: ज़ोहरा सईद अनुवाद : श्रीविलास सिंह सकीना की चूड़ियाँ जब मैं दस साल की थी, मेरी ही उम्र…
  • तूतनखामेन तुम्हारी नब्ज़….किस कलाई में चल रही है!! - कहानी :: अनघ शर्मा तूतनखामेन तुम्हारी नब्ज़....किस कलाई में चल रही है!! 1 धांय से गोली छूटती है और चीथड़े…
  • स्वप्न बुक - गद्य:: सौरभ पांडेय स्वप्न बुक "एक पक्षी के मरने पर कितने आसमान समाप्त हो जाते हैं" - नवारुण भट्टाचार्य सारी…
  • एक पुरानी पाण्डुलिपि - कहानी :: फ्रांज़ काफ़्का हिंदी अनुवाद : श्रीविलास सिंह  ऐसा लगता है कि हमारे देश की सुरक्षा व्यवस्था में बहुत…

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अनुवाद / TRANSLATIONS

  • कब्ज़ा कर लिया गया मकान - कहानी :: जुलिओ कोर्टाज़ार अंग्रेजी से अनुवाद : श्रीविलास सिंह कब्ज़ा कर लिया गया मकान हमें मकान पसंद था, पुराना…
  • मेरा बिस्तर बस एक दलदल है - कविताएँ :: मेरिलिन हैकर अनुवाद, चयन एवं प्रस्तुति : अमित तिवारी अमरीकी कवयित्री मेरिलिन हैकर का जन्म 27 नवंबर 1942…
  • मेरा जादू अलिखित है - कविताएँ :: ऑड्री लॉर्ड अनुवाद, चयन एवं प्रस्तुति : सृष्टि ऑड्री लॉर्ड एक अमरीकी स्त्रीवादी लेखिका, कवि और नागरिक अधिकार…
  • सकीना की चूड़ियाँ - कहानी :: ज़ोहरा सईद अनुवाद : श्रीविलास सिंह सकीना की चूड़ियाँ जब मैं दस साल की थी, मेरी ही उम्र…
  • Resistance of the Man who is Alone - Poems:: Kumar Ambuj Translations: Anchit Kumar Ambuj is well known for his deep investigations of power centres and the exploitative…

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मेरा बिस्तर बस एक दलदल है

कविताएँ :: मेरिलिन हैकर अनुवाद, चयन एवं प्रस्तुति : अमित तिवारी अमरीकी कवयित्री मेरिलिन हैकर का जन्म 27 नवंबर 1942 को न्यूयॉर्क के एक यहूदी परिवार में हुआ था। पढ़ाई के बाद 1970 में वे लन्दन चली गयीं और बुक डीलर के तौर पर काम शुरू किया। 1974 में उनका पहला कविता संग्रह प्रेज़ेंटेशन पीस छपा जिसको कई पुरस्कार मिले। हैकर ने प्रेम की तात्कालिक ज़रूरत, तृष्णाओं विलगाव आदि पर समकालीन, अनौपचारिक भाषा में...

‘बहुत-सी छायाएँ’ और ‘संकोच’

कविताएँ :: कुशाग्र अद्वैत बहुत-सी छायाएँ अपनी एड़ियों की सूखती चमड़ी नोचता बैठा हुआ हूँ तुम्हारी बातें सुनता बैठा हुआ हूँ बहुत-सी छायाएँ छितरा गईं हैं बाहर दुपहरी बीत चुकी है अभी तुम मेरी गोद से अपने आल्ता लगे पैर हटाते हुए उठोगी, पानी पियोगी आहिस्ता, गुड़गुड़ की आवाज़ करते जाने का कहोगी चली ही जाओगी तुम्हारे जाने के बाद मैं क्या करूँगा अख़बार पढूँगा या कोई किताब कुछ लिखने लगूँगा टीवी चला लूँगा...

मेरा जादू अलिखित है

कविताएँ :: ऑड्री लॉर्ड अनुवाद, चयन एवं प्रस्तुति : सृष्टि ऑड्री लॉर्ड एक अमरीकी स्त्रीवादी लेखिका, कवि और नागरिक अधिकार कार्यकर्ता थीं। उन्होंने अपना जीवन और अपनी रचनात्मक प्रतिभा नस्लवाद, जातिवाद, लिंगवाद, वर्गवाद, पूंजीवाद, और होमोफोबिया जैसे अन्यायों के खिलाफ लड़ने के लिए समर्पित किया था। उनकी कविताओं में एक गुस्सा है जो कि समाज में हो रहे अन्यायों के खिलाफ़ है। वो ब्लैक महिलाओं की अस्मिता की...

सम्पादक की डेस्क से: 1 जनवरी 2023

2022 में यूक्रेन पर रूस के हमले तक आते आते हमारी दुनिया में बहुत कुछ जो ढँका छिपा सा लग सकता था, और ज़ाहिर हुआ। पूँजी के काम करने के तरीके में कोई बदलाव तो नहीं आया पर पूँजी ने अपने आवरण उतार दिए हैं और अब वह अपनी कुरूपता के उल्लास को बहुत खुल कर ज़ाहिर कर रही है, अब इसके लिए किसी को यक़ीन दिलाने की ज़रूरत नहीं है। आने वाला समय पूँजी की सत्ता के आम जन में विधिमान्यकरण (legitimization) का समय है...

अपने-अपने वक्त पर सभी चले जाएँगे

कविताएँ :: अमन त्रिपाठी 1. नगरपालिका चुनाव का वोट मांगने विधायक की सुंदर तन्वंगी बहू का घर में जब उल्लसित उमंगित प्रवेश हुआ उसकी हँसी से आंदोलित होकर घर की स्त्रियाँ यूँ खड़ी हो गईं मानो अपने ही बीच के मनुष्य का उनको इतनी ऊंचाई पर छुआ जाना नागवार लग रहा हो और ईर्ष्या ने उनको सीधा खड़ा कर दिया हो या फिर वे एक प्रसन्न कौतूहल से उस दुष्प्राप्य आदर्श को ज़रा-सा निहार पाने की अदम्य आकांक्षा लेकर एक...