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सत्याग्रह सर्वोपरि बल है

उद्धरण :: महात्मा गांधी शरीर का सुख कैसे मिले, यही आज की सभ्यता ढूँढती है, और वो यही देने की कोशिश करती है। यह भी नहीं मिल पाता। • सत्याग्रह सर्वोपरि बल है। • मुझे प्रधानमंत्रियों से द्वेष नहीं है, लेकिन तजुर्बे से मैंने देखा है कि वे सच्चे देशाभिमानी नहीं कहे जा सकते। जिसे हम घूस कहते हैं, वह घूस वे खुल्लमखुल्ला नहीं लेते-देते, इसीलिए भले ही वे ईमानदार कहे जाएँ, लेकिन उनके पास वसीला काम कर सकता...

वह उस ख़ामोशी के अंदर थी और वह सुरक्षित थी

न से नारी :: उद्धरण : चिमामंडा गोज़ी अडिची अनुवाद और प्रस्तुति : सृष्टि चिमामंडा गोज़ी अडिची सुप्रसिद्ध अफ्रीकी लेखिका हैं। उन्होंने अपनी किताबों में बहुत सी अहम बातों का ज़िक्र किया है। उन्होंने लोगों के भाषा को प्रयोग करने के तरीके से जो विचारों पर असर पड़ता है उसका कई बार ज़िक्र किया है। उनके हिसाब से यही अक्सर आइडेंटिटी क्राइसिस की एक अहम वजह होती है। मैंने कभी उनका एक टेड टॉक देखा था, जिसमें...

भाषा पितृसत्तात्मक है

न से नारी :: उद्धरण : कमला भसीन अनुवाद और प्रस्तुति : प्रकृति पार्थ कमला भसीन ( जन्म : 24 अप्रैल 1946) एक भारतीय नारीवादी कार्यकर्ता, कवि, लेखिका तथा सामाजिक विज्ञानी हैं। लैंगिक असमानता की प्रकृति एवं कारणों को समझना तथा इसके फलस्वरूप पैदा होने वाले लैंगिक भेदभाव की राजनीति और शक्ति संतुलन के सिद्धांतों पर इसके असर की व्याख्या करना ही भसीन का उद्देश्य रहा है। भसीन अपनी कविता “क्यूंकि मैं...

बेल हुक्स के उद्धरण

न से नारी :: उद्धरण : बेल हुक्स अनुवाद और प्रस्तुति : प्रिया प्रियादर्शनी बेल हुक्स का वास्तविक नाम ग्लोरिया जीन वॉटकिंस हैं। वह एक अमेरिकी लेखिका, प्रोफ़ेसर, स्त्रीवादी और सामाजिक कार्यकर्ता हैं। उनके कार्यों में मेरी रूचि तब बढ़ी जब मैं इक्कीसवीं सदी के  स्त्रीवादी आंदोलनों के बारे में पढ़ रही थी। मुझे उनके idea of inclusivity ने बेहद प्रभावित किया। वह कहती हैं कि स्त्रीवादी आंदोलन में पुरुषों...

संवाद आत्मा की ज़रूरत है

उद्धरण :: निर्मल वर्मा चयन और प्रस्तुति : उत्कर्ष निर्मल वर्मा ( जन्म 3 अप्रैल 1929, शिमला, हि. प्र. – निधन 25 अक्तूबर 2005, दिल्ली ), यह नाम हिंदी साहित्य-जगत में किसी परिचय का मोहताज नहीं है। अपनी तरह का एक अनूठा एहसास। उनका लेखन सघन अनुभूतियों से उपजता है और पाठकों पर अपना सुदीर्घ ‘मौन’ छोड़ जाता है, जैसे उस ‘लाल टीन की छत’ की स्मृति साथ रह जाए। उनके रचना-समय का एक...

अधूरे आदमी को औरत पूरा करती है

उद्धरण :: कमलेश्वर चयन और प्रस्तुति : बालमुकुन्द आदमी को सिर्फ़ औरत की जरूरत होती है… पर औरत को हर आदमी की नहीं, उस आदमी की ज़रूरत होती है, जिसे वह मन से समझ सके। • औरत और आदमी में सही प्यार हो तो आदमी घर का रास्ता कभी नहीं भूलता…। • ज़िंदगी का मैथेमेटिक्स बिल्कुल अलग होता है। इसमें एक और एक मिलकर एक होना चाहते हैं, पर ज़्यादातर एक और एक मिलकर दो हो जाते हैं, या ग्यारह बनकर रह जाते...

मुझे अपने नाम से पुकारो

उद्धरण :: आंद्रे आसिमान चयन, अनुवाद और प्रस्तुति : अंचित आंद्रे आसिमान इतालवी-अमेरिकन लेखक हैं और अमेरिका में रहते, पढ़ाते हैं। ‘कॉल मी बाई योर नेम’ उनका चर्चित उपन्यास है। यह सत्रह साल के लियो और चौबीस साल के ऑलिवर की कहानी है। इस उपन्यास से कुछ उद्धरण प्रस्तुत हैं— जल्दी ठीक होने के चक्कर में हम ख़ुद में से इतने टुकड़े निकाल कर फेंक देते हैं कि तीस तक आते आते हमारे भीतर कुछ नहीं...

अगर तुम अतीत पर पिस्तौल से गोली चलाओगे, तो भविष्य तुम पर तोप से गोली बरसायेगा

‘मेरा दागिस्तान’ से कुछ उद्धरण :: प्रस्तुति :: स्मृति चौधरी रसूल हमजातोव ने कहा था “कविगण इसलिए पुस्तकें लिखते हैं कि लोगों को युग और अपने बारे में, आत्मा की हलचल के बंध में बांध सकें, उनको अपनी भावनाओं और विचारों से अवगत करा सकें.”  यह उपन्यास सुखद एवं संजीदा किस्सों से भरा है, बिल्कुल वैसा जैसा हमारा जीवन.  यह उपन्यास किसी महाकाव्य से कम नहीं लगता क्योंकि, उनकी भाषा भी...

हर भाषा की अपनी एक गंध होती है

उद्धरण :: अज्ञेय चयन और प्रस्तुति : उत्कर्ष अज्ञेय हिंदी कविता के प्रमुख हस्ताक्षरों में से एक हैं जिन्होंने प्रयोगवाद और नई कविता को साहित्य जगत से जोड़ने का प्रभावी कार्य किया। वह कवि, कथाकार और निबंधकार होने के साथ ही पर्यटन में भी खास रूचि लेते थे। उन्हें कविता-संग्रह ‘कितनी नावों में कितनी बार’ के लिए 1978 में भारतीय ज्ञानपीठ पुरस्कार और 1964 में ‘आँगन के पार द्वार’ के...