
उद्धरण :: महात्मा गांधी शरीर का सुख कैसे मिले, यही आज की सभ्यता ढूँढती है, और वो यही देने की कोशिश करती है। यह भी नहीं मिल पाता। • सत्याग्रह सर्वोपरि बल है। • मुझे प्रधानमंत्रियों से द्वेष नहीं है, लेकिन तजुर्बे से मैंने देखा है कि वे सच्चे देशाभिमानी नहीं कहे जा सकते। जिसे हम घूस कहते हैं, वह घूस वे खुल्लमखुल्ला नहीं लेते-देते, इसीलिए भले ही वे ईमानदार कहे जाएँ, लेकिन उनके पास वसीला काम कर सकता...