
डायरी :: तोषी पांडेय मुझे इस नए शहर में आये दो महीने हो चुके हैं और हमारी समूची जेनेरेशन- जिसे न करियर में कुछ समझ आ रहा है और न ही प्रेम में वाले बोझ को लिए हज़ारों बोझिल चहेरे शाम को राइट और लेफ्ट स्वाइप करते मिल जाते हैं। कुछ इन छोटे छोटे एस्कपों से थक गये हैं और कुछ अभी उसको ही जीवन मान चुके हैं। *** मुझे कई बार इनके बीच में मिसफिट महसूस होता है, कुछ ने सलाह दी है शहर एक्सप्लोर करो, एक जगह से...