
कहानी :: सौरभ पाण्डेय 1 मैं पेंसिल की लकीरों में छुपा हुआ पापा का पुराना चेहरा देख रहा था. अब पापा का चेहरा बहुत बदल गया है. मेरी उनसे कभी कोई खास घनिष्ठता नहीं रही, वजह कुछ खास नहीं, शायद ईडिपस कॉम्प्लेक्स भी हो सकता है. असल में उन्हें बिल्कुल सादा जीवन पसंद है. बिल्कुल सादा जीवन जीना मुझे चौबीसों घंटे कैमरे की नजर में रहने जैसा लगता है. मैं जब से पापा को देख रहा हूँ, वो उसी कैमरे की नजर में हैं...