
गद्य:: सौरभ पांडेय स्वप्न बुक “एक पक्षी के मरने पर कितने आसमान समाप्त हो जाते हैं” – नवारुण भट्टाचार्य सारी ध्वनियां दृश्य में रही हैं। मैं उन दृश्यों से भयभीत, उन्हें एक स्वप्न की तरह नोट कर रहा हूं। स्वप्न मुझे हाइड्रोफोबिया है। मुझे ऐसा लग रहा है कि मेरे आस पास की सारी चीजें, मेरे सारे खयाल, मेरे सारे अहसास जाने क्यूं किसी नदी में तैरने को बेचैन हैं।मैं पुल के एक छोर पर खड़ा...