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जब छाँव मिलल दुपहरिया में, आ सूरज गोल भिनसहरे

गद्य :: उत्कर्ष गाँव डायरी : जब छाँव मिलल दुपहरिया में, आ सूरज गोल भिनसहरे का हाल बा? सब ठीक बा न? आशा बा, रउआ सब कुशल-मंगल से होखब आ हंसत-मुस्कात जीवन के पावल-छूटल में लागल होखब. रउआ सब सोचत होखब कि ई डायरी शीर्षक के आलेख, चिट्ठी-पत्री के रूप में कान्हे आरम्भ होता. ई कान्हे से कि लेखक के आप-सबे से सीधा-संवाद करे के मन कइल. एहि से. खैर, बात ई बा कि कटिया होई गइल बा. शहर से दूर आजकल हम आपन साईकिल...

अच्छा दिन केने बा ?

कुछ भोजपुरी कविता :: संतोष पटेल अच्छा दिन केने बा ? अच्छा दिन केने बा ? केहू देस में खोज के निकालत बा केहू विदेस में खोजत बा इहे का कम बा ? जे सभे अच्छा दिने के सपना में भुलाइल बा बउराइल बा बाकिर ‘उ’ पेट्रोल पम्प में लुकाइल बा कि तरकारी के टोकरी में मुरकीआइल बा कि दाल के बोरा से दबाइल बा त मिलो कहाँ से आम लोगन के अंगना में हिलो कहाँ से ? अच्छा दिन ! इ त आइले बा नेता जी के परिधान में...