
गद्य :: उत्कर्ष गाँव डायरी : जब छाँव मिलल दुपहरिया में, आ सूरज गोल भिनसहरे का हाल बा? सब ठीक बा न? आशा बा, रउआ सब कुशल-मंगल से होखब आ हंसत-मुस्कात जीवन के पावल-छूटल में लागल होखब. रउआ सब सोचत होखब कि ई डायरी शीर्षक के आलेख, चिट्ठी-पत्री के रूप में कान्हे आरम्भ होता. ई कान्हे से कि लेखक के आप-सबे से सीधा-संवाद करे के मन कइल. एहि से. खैर, बात ई बा कि कटिया होई गइल बा. शहर से दूर आजकल हम आपन साईकिल...