कविताएँ : आर्थर रैम्बो
अनुवाद एवं प्रस्तुति : अंचित

पहली रात

वह लगभग बिना कपड़ों के थी
और लंबे पेड़ खामोशी से झाँक रहे थे
चतुराई से अपने पत्ते, खिड़की के शीशे पर
फेंकते हुए, इतने क़रीब, इतने क़रीब।

वह अर्ध-नग्न, मेरी बड़ी कुर्सी पर बैठी हुई,
उसके हाथ गुँथे हुए। उसके छोटे पैर
फर्श पर काँपते हुए,
आनंद से, कोमलता से भरे, भरे कोमलता से।

मैं एक भटकी हुई सूरज की किरण की तरह उसे देखता
मोम का रंग उसकी मुस्कुराहट पर काँपता हुआ,
उसके सीने पर भी।
गुलाब पर एक मक्खी।

मैंने उसकी कोमल एड़ियों को चूमा
वह धीमे से, एक नुकीली मुस्कान मुस्कुराई
जो उसके बालों के गुच्छों तक खिली।
सुंदर हँसी, पाक साफ़।

उसके छोटे पैर उसके रात के कपड़ों के नीचे
छिप गए। “बहुत हुआ ये”।
—इतनी दूर आने के बाद
हँसी सिर्फ़ प्रतिरोध का नाटक कर रही थी।

बेचारी काँपती चीज़ें, उसकी पलकें
मेरे होंठो के नीचे, हल्के से चूमीं गईं:
उसने अपना सर पीछे किया
“अब तुमने हद कर दी है…मिस्टर”

“मेरे पास तुम्हारे लिए बस दो शब्द  हैं…”
—पर मैंने उसे अपने चुम्बनों से रोक दिया,
उसके सीने पर इधर से उधर, एक और खिलखिलाहट
जिसने बाक़ी सारी संभावनाएँ बता दीं…

वह लगभग बिना कपड़ों के थी
और लंबे पेड़ खामोशी से झाँक रहे थे
चतुराई से अपने पत्ते, खिड़की के शीशे पर
फेंकते हुए, इतने क़रीब, इतने क़रीब।

शीर्षकहीन टुकड़े

जुलाई की एक बादलों भरी सुबह। राख का स्वाद हवा में घूम रहा है;
अलाव में पसीना बहाते लकड़ी की गंध-पानी में फूल सड़ते हुए-चलने के रास्तों पर भीड़—
खेतों पर, बहती नहरों की धीमी बारिश-पर यहाँ क्यों रुकना-
क्यों न खिलौने भी जोड़े जायें और ख़ुशबू?

***

ऊँची मीनारों से मीनारों तक मैंने रस्सियाँ बाँधी,
गुलदस्ते खिड़कियों से खिड़कियों तक; सोने की चेनें एक तारे से दूसरे तक;
और मैं नाचता हूँ।

***

पहाड़ी झील बिना रुके धुआँ उड़ाती है।
इस सफेद सूर्यास्त के ख़िलाफ़ कौन सी चुड़ैल उठेगी?
कौन से बैगनी पौधे टूट गिरेंगे?

***

जबकि जनता के पैसे शराब से भरे आपसी उत्सवों के लिए उड़ाये जा रहे हैं,
गुलाबी आग से बनी एक घंटी बादलों में बजती है।

***

एक काला पाउडर मेरी शाम पर धीमे-धीमे बरसता है, इंडिया स्याही के लिए मेरे भीतर एक स्वाद जगाता हुआ।
मैं रौशनी कम करता हूँ, ख़ुद को फेंकता हूँ बिस्तर पर, और, छायाओं की तरफ़ मुड़ा हुआ, देखता हूँ तुम्हें:
मेरी बेटियों, मेरी रानियों।

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आर्थर रैम्बो फ्रेंच कविता और फ्रेंच प्रतीकवाद के प्रमुख नामों में से हैं। प्रस्तुत अनुवाद वायट मेसन के अंग्रेज़ी अनुवाद पर आधारित हैं।
अंचित हिंदी के कवि और अनुवादक हैं। उनसे anchitthepoet@gmail.com पर बात हो सकती है।