कविता :: चार्ल्स बूकाउस्की
अनुवाद एवं प्रस्तुति : अंचित

बूकाउस्की फ़रिश्तों के शहर में ही हो सकते थे. उन्होंने पचास के आसपास किताबें लिखीं और उनको याद करते ही एक उज्जड़ छवि बनती है. उनको आप किसी सभागार में नहीं देख सकते. वे हमेशा सड़क के किनारे बीयर की बोतल हाथ में लिए खड़े मिलेंगे. वे महानता के नहीं, जो साधारण है, उसके कवि हैं. संस्थानों से बाहर, ढाँचों और सत्ता-तंत्र से बाहर की उपस्थिति. उनकी भाषा, मेरी और आपकी भाषा है, लाग लपेट और हर तरह की क्षद्म आवृति से मुक्त. अपनी शर्तों पर खड़े, और अपने होने पर गर्व करते. उनकी कविताओं के अनुवाद इधर उधर होते रहे हैं. हिंदी में शायक आलोक ने उनकी कुछ कविताओं के सबसे सुंदर अनुवाद किए हैं. बूकाउस्की अपने लिए अलग एस्थेटिक्स की माँग करते हैं जैसे हर महान कवि की कविताओं में जाते हुए पाठक को यह श्रम करना पड़ता है. अंग्रेज़ी में इस कविता का शीर्षक था, “Raw with Love.” लेकिन हिंदी में कविता का शीर्षक “प्यार से सट कर” कर दिया गया है. सटना ख़ालिस बिहारी शब्द है जिसका अर्थ दीर्घ स्पर्श जैसा कुछ है.

—अंचित

प्यार से सट कर

प्यारी साँवली लड़की
तुम्हारी नर्म आँखें.

जब ख़ंजर का इस्तेमाल करने का वक़्त आएगा
मैं डरूँगा नहीं.
मैं तुम्हें दोषी नहीं ठहराऊँगा.

जैसे अब मैं अकेला सफ़र करता हूँ समंदर के किनारे,
जैसे ताड़ के पेड़ हिलते हैं -वही कुरूप भारी ताड़,
जैसे ज़िंदा लोग कभी आते नहीं,
जैसे मुर्दा कभी जाते नहीं,
मैं तुम्हें दोषी नहीं ठहराऊँगा.

इसकी जगह
तुम्हारे चुम्बन याद रखूँगा.
हमारे होंठ प्यार से सटे हुए,
और कैसे, तुमने मुझे वह सब कुछ दिया
जो तुम्हारे पास था
और कैसे, मैंने मेरे पास मेरा जो कुछ बचा था
वह सब कुछ तुम्हें

और मुझे तुम्हारा वह छोटा कमरा याद रहेगा
तुम्हें महसूस करना
खिड़की पर रौशनी
तुम्हारे रिकॉर्ड
तुम्हारी किताबें
हमारी सुबह की कॉफ़ी
हमारी दोपहरें, हमारी रातें
हमारे जिस्म बहते हुए साथ साथ सोते हुए – आकर्षण बहता हुआ
त्वरित और हमेशा के लिए
तुम्हारे पैर, मेरे पैर
तुम्हारी बाँह, मेरी बाँह
तुम्हारी मुस्कुराहट और ऊष्मा तुम्हारी.
तुमने फिर से मुझे हँसाया.

प्यारी साँवली लड़की,
तुम्हारे पास कोई ख़ंजर नहीं है.
ख़ंजर मेरा है और मैं अभी
उसका इस्तेमाल नहीं करूँगा.

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अंचित कवि हैं. उनसे anchitthepoet@gmail.com पर बात हो सकती है.