नए पत्ते::
कविताएँ: अनिकेत कुमार

 

मौन और तुम्हारे शब्द का साथ

रात हो चुकी है,
मन शांत हैं मेरा,
आवाज नहीं आ रही आस पास,
शायद मन तुम्हारी आवाज का इंतजार कर रहा।
शायद मन तुम्हारी खुसफुसाहट का इंतजार कर रहा।

सर्दी की रात है,
शायद मन तुम्हारी स्पर्श की गर्माहट का इंतजार कर रहा।
होठों के स्पर्श में ठंडक होती है,
पर मन सर्दी भूल कर उस ठंडक को पा लेना चाहता है।
तुम हो शायद आस पास,
पर बिलकुल मौन है मेरा मन।

आज चांद देखा क्या तुमने?
हाँ, चांद देखना भूला नहीं जाता कभी,
आज चांद पूरा था।
चांद के सामने रखा था मैंने तुम्हें एक बार,
पूरे चांद को भी शिकायत हो गई थी इस से।

दोपहर में खुला आसमान देखा क्या तुमने?
नीले आसमान में छोटे-छोटे और शांत बादल थे।
आसमान चाहता है कि नजदीक से देखो तुम उसे,
तुम्हारी संगीत भी सुनना चाहता है वो।

हवा चल रही है, पत्ते हिल रहे पेड़ के।
पत्तों के हिलने से ज्यादा तुम्हारी बालों का लहराना अच्छा लगता है मुझे।
मौन का साथ छूट रहा धीरे-धीरे,
शायद तुम्हारे साथ के कारण शब्द आ गए हैं मेरे पास।

तुम

सुबह तुम्हारी मेरे पास,
सूरज भी तुम्हारा मेरे पास और
जब शाम ढले तो अपना अंधेरा भी छोड़ दो मेरे पास
ताकि मैं इंतजार कर सकू अंधेरे में अगली सुबह के लिए।

मैं लिख नहीं रहा हूँ, मैं आवाज दे रहा हूँ तुम्हें।
पास हो तुम मेरे,
पर दूर मैं किसको आवाज दे रहा?

आसमान में भी तुम ही हो?
पेड़ो की पत्तियों में भी तुम ही हो?
नदियों की चमकते पानी में भी तुम ही हो?

ढलते सूरज को एक लड़की देख रही प्यार से,
तुम्हें भी तो ढलता सूरज पसंद हैं ना?

सुनो सुबह का भी सूरज सुंदर होता है।
ठंड का मौसम है अभी,
कोहरे में चाय पीने चले क्या?
सुबह के कोहरे में सूरज देखने चले क्या?
सबसे सुंदर मौसम भी तुम ही हो?
और हाँ, जवाब हैं मेरे पास,
सबसे खूबसूरत चीज तुम हो मेरे लिए।

लाल झंडा

ले आओ वो लाल झंडा और गाड़ दो इस सूरज के सामने,
सूरज की नंगी आँखें चुभती हैं इतनी बेशर्मी देख कर,
अच्छी खासी लापरवाही देख चुका हैं ये सूरज इस दुनिया में,
लाल रंग के उस झंडे से डरते हैं धर्म के नाम पर बेवकूफ बनाने वाले ठेकेदार,
पूरे जायज हैं ये डर
बदलाव के लिए।

•••

इंद्रधनुष लगातार अपने स्तम्भ ‘नए पत्ते’ के अंतर्गत बिल्कुल नयी आवाज़ों को जगह देता रहा है। अनिकेत कुमार झारखंड केंद्रीय वि. वि. में अंग्रेज़ी साहित्य के छात्र हैं। फोटोग्राफी में उनकी गहरी अभिरुचि है। उनसे imaniketkumar10@gmail.com पर बात हो सकती है।

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