राजेश कमल की कविताएँ ::
1. एक रूठे हुए दोस्त के लिए
ये खुशियों के पल
निठल्ले नहीं हैं
बुहार ले जायेगा
वक़्त इन्हें
और हम देखते रह जायेंगे
हाथ हिलाते रह जायेंगे
यूँ ही
और इन विरल लम्हों में
रूठ जाते हो तुम
जरा-जरा सी बात पर
सुनो दोस्त
इत्ती सी बात पर रूठो मत,
कि आज के दौर में
मुस्कुराने के सबब
मुश्किल से मिलते हैं
2. कविता
वह एक खूबसूरत कविता थी
मैं हर पल उसे गुनगुनाता
उसके शब्दों में खोया रहता
लेकिन
मैं उसका कवि नहीं था
सो एक दिन
वह चली गई
किसी किताब के किसी पन्ने में
अपने कवि के नाम
और मैं हूँ
कि उन शब्दों के जादू से नहीं उबर पाया
अब तलक.
3. भूल
बहुत पानी था उसके चेहरे पर
मैंने
वहाँ अपना नाम लिखा
बार-बार लिखा
और यह भूल
ताउम्र करता गया.
4. लौटना
इन्हीं क़दमों से
आबाद था कोई रास्ता
हमने भुला दिया
उसी रास्ते से थी पहचान हमारी
हमने भुला दिया
आज चौड़ी सड़कों की धूल
हमारे तलुए को गुदगुदाती है
एक बार
जब फिर लौटने की चाह ने
बेचैन किया
मैंने स्वप्न में देखा
पुरानी पगडंडियां हमसे पूछ रहीं है
तुम कौन?
5. मुक्कमल
किस्तों में मिले तुम
थोड़े-थोड़े
कभी मुकम्मल नहीं
अभी रौशनी आई चेहरे पर
अभी छाँव
अभी सुबह थी
अभी रात
भटकते रहे कभी इधर, कभी उधर
बेचैन
कभी पूरी चाय नहीं
हमेशा कट चाय
भूख से कम खाया
प्यास से कम पानी
अँधेरा लम्बा था
उजाले छोटे
पूनम की रात थी
बादलों की अठखेलियाँ होती रही.
6. जिंदगी बोतल में बंद हसीना है
कैशौर्य जब था
सपनों में आती थीं
भरे हुए स्तनों वाली औरतें
फैले हुए कूल्हों वाली औरतें
औरतें जिनके हाथों में छड़ी थी
और मुँह में गालियाँ
अब उम्र के चौथे दशक में हूँ
याद आती है स्कूल की सहेलियाँ
जो अब निस्संदेह भरे हुए स्तनों वाली औरतें होंगी
फैले हुए स्तनों कूल्हों वाली औरतें होंगी
जिंदगी बोतल में बंद हसीना है
मौत का दरवाजा दो कदम पर है.
***
राजेश कमल चर्चित कवि हैं और पटना में रहते हैं. इनसे rajeshkamal09@gmail.com पर बात की जा सकती है.
कविताएँ पढ़ी और अच्छी लगीं. ज़िंदगी उपलब्धियों के ढेर का नहीं बल्कि जी लेने की कला का नाम है. इस सत्य की ओर इशारा करती हुई कविताएँ. साधुवाद.