कविता ::
एडम ज़गायेव्स्की
अंग्रेजी से अनुवाद : अंचित
एडम ज़गायेव्स्की (1945-2021) दुनिया के प्रतिनिधि कवियों में शुमार हैं। पोलिश कविता और विश्व कविता में उनका नाम सम्मान से लिया जाता है। उन्होंने भटकते हुए निर्वासितों पर लिखा, यूरोप और दुनिया भर में भूतकाल के चिन्हों को खोजते रहे और हर महान कवि के बिंबों की तरह उनके बिम्ब, मानवीय चेतना और संवेदना की विवेचना करते हैं। बीते कल उनका निधन हो गया, इंद्रधनुष की ओर से उन्हें श्रद्धांजलि।
|| रास्ते में ||
1. बिना सामान के
बिना सामान के सफ़र पर निकलना,
ट्रेन की कठोर लकड़ी की बेंच पर सोना
अपने वतन को भूल जाना
छोटे स्टेशनों से बाहर निकलना –
जब मटमैला हो रहा हो आसमान
और मछुआरी नावें चल पड़ी हों समंदर की ओर।
2. बेल्जियम में
बेल्जियम में बारिश हो रही थी
और नदी पहाड़ों से उलझ जाती थी।
मैंने सोचा, मैं कितना अधूरा हूँ।
पेड़ ऐसे बैठे थे घाटी में, जैसे हरे चोग़े में पादरी बैठे हों।
अक्टूबर झाड़ियों में छिपा हुआ था।
नहीं मदाम, मैंने कहा
यह बात करने वाला कम्पार्ट्मेंट नहीं है।
3. हाईवे के ऊपर चक्कर लगाता एक बाज
वह निराश होगा
अगर वह झपट्टा मारता है
लोहे के चद्दरों पर,
पेट्रोल पम्प पर,
सस्ते संगीत के कैसेट पर,
हमारे छोटे दिलों पर।
4. मोंट ब्लैंक
यह दूर से चमकता है,
सफेद और सतर्क,
परछाइयों के लिए किसी लालटेन की तरह।
5. सीगेस्ता
घास के मैदान में एक विशाल प्रार्थनागृह
एक जंगली जानवर
आसमान की तरफ़ खुला हुआ।
6.गर्मियाँ
गर्मियाँ लम्बी थीं,
और हमारी छोटी कार मानो खो गई सी लगती
वरदुन जाने वाली सड़क पर।
7. बायटम स्टेशन पर
भूमिगत सुरंग में
सिगरेट के टुकड़े उगते हैं
डेज़ी के फूल नहीं!
यहाँ अकेलेपन की बदबू आती है।
8. सेवानिवृत्त लोग फ़ील्ड ट्रिप पर
वे चलना सीख रहे हैं
जमीन पर।
9. समुद्री मुर्ग़ाबियाँ
अनंत यात्रा नहीं करता।
अनंत इंतज़ार करता है।
मछली पकड़ने वाले बंदरगाह पर
सिर्फ़ समुद्री मुर्ग़ाबियाँ बकबक करती हैं।
10. टॉरमिना का थिएटर
टॉरमिना में थिएटर से आप एक ओर देखते हैं
एटना के शिखर पर बर्फ
और दूसरी ओर चमचमाता समुद्र।
बेहतर अभिनेता कौन है?
11. एक काली बिल्ली
एक काली बिल्ली हमारा अभिवादन करती है
मानो कह रही हो, मुझे देखो
किसी पुराने रोमन चर्च को नहीं।
मैं ज़िंदा हूँ।
12. एक रोमन चर्च
घाटी में नीचे
आराम करता एक रोमन चर्च है।
वहाँ कास्केट में शराब रखी है।
13. प्रकाश
पुराने घरों की दीवारों पर प्रकाश।
जून।
राहगीर, आंखें खोलो।
14. भोर में
भोर में दुनिया की व्यावहारिकता
और आत्मा की कमजोरी
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यह अनुवाद क्लेयर कवाना के अंग्रेज़ी अनुवाद पर आधारित है। अंचित कवि हैं और उनसे anchitthepoet@gmail.com पर बात हो सकती है।
एडम ज़गाएव्स्की अधूरे नहीं हैं । यह घोष वाक्य वही लिख सकता है जो भरा-पूरा हो । जिसकी कल्पना की कविता पहाड़ों से जा टकराये । पेड़ को हरे चोग़े में बैठा पादरी कह सके । अक्टूबर के बाद शीत ऋतु आसमान से धरती पर धड़ाम आकर गिरती है । बोल सकने की ताक़त नहीं होती और हिम्मत जवाब दे जाती है ।