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कविताएँ: नीरज

 

वसंत

अभागों को प्रेम होता है— पतझड़ में
उनकी ओर ईश्वर लौटते हैं‌
हाथ में फूल लिए
तो वसंत आता है।

निवेदन

जिनके हिस्से में मॉं नहीं हैं
हे ईश्वर!
तुम उनको
मुझसे ज्यादा ही देना
ज्यादा भी
सम्भवतः भर पाए उनका खालीपन।

सोचना जरूर

दो फूलों को कुचलते हुए
अगर मैं तुम तक पहुँचता हूँ
तो तुम
मुझे तुरन्त अस्वीकार कर देना

दो फूलों के साथ
अगर मैं तुम तक पहुँचता हूँ
तो तुम
मुझे स्वीकार करो न करो
लेकिन मेरे बारे में सोचना ज़रूर।

प्रकृति-प्रवृत्ति

सबको अपने-अपने हिस्से की जमीन चाहिए
सब थकते हैं
सब बैठते हैं

दो लोगों में
अपने बीच जगह बचाने की प्रवृत्ति होनी चाहिए
प्रकृति बचाने के लिए।

कविता के बारे में

सृजन के पूर्व कविताएँ
हवा की भांति होती हैं— अदृश्य पर जीवनदायिनी
सजीव किन्तु देह-हीन
सृजन के पश्चात कविताएँ
दस्तावेज़ की तरह होती हैं— निर्णायक एवं ऐतिहासिक

यात्राओं की कविताएँ
सहयात्री होती हैं— कवि की
अनवरत गतिशील

यात्री ज्यों नई यात्रा पर निकलता है
नये मार्गों पर
जो उसे जाते वक्त बड़ी दूर लगते हैं
और लौटते वक्त नजदीक
समान दूरी, समान गति के बावजूद
चूंकि
नई कविता  नए मार्ग
हमें प्रारम्भिक अचरज में डाल देते हैं,
थोड़ी बहुत उत्सुकता और बेचैनी में भी
लेकिन
पुरानी कविता, पुराने मार्ग
हमें अनुभवी होने का बोध कराते हैं

जीव, परिस्थितियाँ और समय
कविताओं के मूल पोषक तत्व होते हैं
जीव कविताओं का उद्देश्य हैं
परिस्थितियाँ कविताओं की क्रियाएं हैं
और
समय कविताओं को जीवित रखता है।

कविता के बारे में
सब अलग-अलग अर्थधर्मी होते हैं
पर
कविता का सबसे सुंदर भाव है कि—
यहाँ लोग गुस्सा भी
बड़ी शान्ति से लिखते हैं।

•••
नीरज नए आते हुए कवि हैं। उनसे kumneeraj005@gmail.com पर बात हो सकती है।

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