बादल अपनी बारिश बरसाना भूल गया

कविताएँ ::

गायक : शहंशाह आलम

(१).

मैं बादलों के बताए हुए रास्तों पर चलकर
सुबह की सैर कर रहा था छाता संभाले

आँखों में नए-नायाब मंज़र को उतारता
गायक बारिश गा रहा था बस मेरे लिए

पड़ोस की लड़की जब खिड़की पर आई
सुबह वाली अंगड़ाई लेती हुई मुस्कराकर
बादल अपनी बारिश बरसाना भूल गया
मैं अपना रास्ता अपना छाता भूल गया
और मेरा गायक आसमान तक फैलाए अपना गाना

(२).

गायक सुबह निकलता
तो देर शाम तक लौटता
शाम को निकलता
तो सुबह तक लौट आता
अपने गाने की जगह पर

घोंसला तब भी ख़ाली था
सुबह से शाम
शाम से सुबह
गायक की आँखों में

बस बारूद की गंध बची थी घोंसले में तरोताज़ा

शहर भर में ऐलान कराया जा रहा था लगातार
ज़िलाधीश के आदेश पर कि स्थिति नियंत्रण में है

(३).

गायक सुनता है
दरख़्त का हँसना
फिर गाता है

गायक सुनता है
भाषा का चलना
फिर गाता है

गायक सुनता है
परिंदे का उड़ना
फिर गाता है

गायक सुनता है

धागे की गाँठों का खुलना
फिर गाता है

गायक सुनता है
उसकी नाभि पर भोर का उतरना
फिर गाता है.

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शहंशाह आलम स्थापित कवि हैं. इनके सात कविता संग्रह और आलोचना की एक पुस्तक प्रकाशित है. इनसे shahanshahalam01@gmail.com पर संपर्क किया जा सकता है.

About the author

इन्द्रधनुष

जब समय और समाज इस तरह होते जाएँ, जैसे अभी हैं तो साहित्य ज़रूरी दवा है. इंद्रधनुष इस विस्तृत मरुस्थल में थोड़ी जगह हरी कर पाए, बचा पाए, नई बना पाए, इतनी ही आकांक्षा है.

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