कविताएँ::
पंखुड़ी सिन्हा

पंखुड़ी सिन्हा

फसलों का मालिक

एक अजीब बात है
खेती के सम्बन्ध में.
जैसे नितांत अपरिचित
एक शहर में जाकर
एक कमरा किराए पर लिया जा सकता है
विदेश में भी जाकर
वैसे एकदम अपरिचित गाँव में
खेत नहीं लिया जा सकता
किराए पर.
किराए पर भी
खेती करने
या करवाने के लिए
वहीँ का होना होता है
फसलों के मालिक को…

नई बहू के किस्से

एकदम से सुनाने लगना
अपने पति के उसे भोजन माफिक
किसी रोल, स्प्रिंग रोल माफिक
चबा जाने
या चबा जाने की इच्छा के हाल
एक तो यों भी नहीं सुहाता नई बहु को
तिसपर उस लड़की से
जिसकी डगमग होकर
काफी डगमगा गयी हो ज़िन्दगी
कोई भलमनसाहत नहीं
नई बहु तो
पड़ोसियों से भी बाज नहीं आती…

हँसी वाला हथियार

बड़ा नुकीला है
बहुत धारदार
ये हँसी वाला हथियार
और बहुत सुलभ भी
एहतियात बरतें
जानते
कब आघात कर रही है हँसी

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पंखुड़ी सिन्हा कवियित्री-लेखिका हैं. इनके दो हिन्दी कथा संग्रह ज्ञानपीठ से, तथा दो-दो हिन्दी और अंग्रेजी कविता संग्रह प्रकाशित हैं. इनसे nilirag18@gmail.com पर बातचीत की जा सकती है.

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