चैप्लिन के विचार ::
चयन, अनुवाद और प्रस्तुति : उत्कर्ष
चार्ली चैप्लिन (१६ अप्रैल १८८९ – २५ दिसंबर १९७७ ) प्रसिद्ध अंग्रेजी हास्य-अभिनेता और फ़िल्म-निर्देशक थे। उनके बारे में कम लोग जानते हैं कि वह कुशल संगीतकार और संगीतज्ञ भी थे, जिन्होंने फिल्मों में बेहद प्रभावी संगीत तो दिया ही, उनका निर्माण भी किया। वह अपनी फिल्मों में अपनी अनूठी शैली, रचनात्मकता और अपने अलहदा अंदाज के लिए जाने जाते थे। ‘द इमिग्रांट’ (१९१७), ‘द गोल्ड रश’ (१९२५), ‘सिटी लाइट्स’ (१९२५), ‘मॉडर्न टाइम्स’ (१९३६), ‘द ग्रेट डिक्टेटर’ (१९४०) उनकी प्रभावशाली सिनेमाई रचना-कर्मों के प्रमुख नाम हैं।
चैप्लिन का सम्पूर्ण जीवन ही एक विचार है, एक संदेश जो अपने हिस्से दुःख बटोरते हुए लोगों के बीच मुस्कुराहटें बाँटते रहा, ताउम्र।
प्रस्तुत उद्धरण वेबपटल से साभार लिए गए हैं, और अंग्रेजी से अनुदित हैं। चैप्लिन के फ़िल्म-संवाद, साक्षात्कार और उनकी आत्मकथा इसका मूल स्रोत है। पाठक चैप्लिन के विचारों के आईने में झाँक सकें, उनके वृहद और भावपूर्ण संसार से परिचित हों, यही आशा है।
— उत्कर्ष
तुम्हें अर्थ से क्या चाहिए? जीवन आकांक्षा है, नाकि अर्थ।
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हम सोचते बहुत हैं और महसूस बहुत ही कम करते हैं। हमें मशीनें नहीं, मनुष्यता चाहिए। चतुराई से कहीं अधिक, हमें करुणा और सौम्यता की जरूरत है। इन गुणों के बगैर, जीवन हिंसक हो जाएगा और सबकुछ खो जाएगा।
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तुम्हें शक्ति की जरूरत पड़ती है, तभी जब तुम कुछ अहितकारी करना चाहते हो। नहीं तो वैसे बस प्यार पर्याप्त है सबकुछ करने के लिए।
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आईना मेरा सबसे अच्छा मित्र है क्योंकि जब मैं रोता हूँ, यह कभी नहीं हँसता।
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मेरे पास उतना धैर्य नहीं है कि किसी खूबसूरत चीज़ को जानने के लिए उसे समझाने की जरूरत पड़े। अगर उसे सिवाय उसके रचयिता के किसी और से किसी अतिरिक्त व्याख्या की जरूरत है, तब मेरा प्रश्न है कि क्या उसने अपना उद्देश्य पूरा किया।
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अपनी साख से कहीं अधिक अपने अंतःकरण की चिंता करिए। क्योंकि आपका अंतःकरण वह है, जो आप हैं। आपकी साख वह है, जो दूसरों की आपके बारे में रखी राय है। और लोग आपके बारे में क्या सोचते हैं, यह उनकी समस्या है।
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मैं कोई राजनैतिक व्यक्ति नहीं हूँ और मेरी कोई राजनीतिक प्रतिबद्धता नहीं हैं। मैं एक आदमी हूँ और आजादी में विश्वास रखनेवाला हूँ। मेरे पास यही सारी राजनीति है।
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आप पाएँगे कि जीवन अभी भी सार्थक है, अगर आप बस मुस्कुराते रहे।
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मैं बरसात में चलता हूँ, ताकि लोग मेरे आँसू न देख सकें।
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वे लोग तुम्हारी आलोचना करेंगे, तुम्हारे बारे में बुरा कहेंगे, यह बहुत मुश्किल होगा कि तुम किसी ऐसे व्यक्ति से मिलो, जो तुम्हें तुम्हारी नजर से देखे, तुम्हें महसूस करे, जैसा असल में तुम हो। तो जिओ, वह करो जो तुम्हारा जी चाहे… जीवन एक ऐसा खेल है, जो जाँचने की इजाजत नहीं देता। तो गाओ, चिल्लाओ, नाचो, हँसो और बड़ी शिद्दत से जीवन का हर दिन जिओ, इससे पहले कि पर्दा गिरे और यह प्रस्तुति ख़त्म हो जाए, बिना तालियों के।
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मुझे जाननेवाले तैयार थें बहुत गहरी दोस्ती के लिए और मेरी समस्याएँ बाँटने के लिए भी, जैसे कि वह मेरे सगे हों। यह सबकुछ बहुत खुशामदी था, लेकिन मेरी प्रकृति वैसी नजदीकी के अनुकूल नहीं है। मुझे दोस्त पसंद हैं, जैसे मुझे संगीत पसंद है— जब मेरा मन करे। वैसी आज़ादी, हालाँकि अकेलेपन की कीमत पर मिलती थी।
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तुम्हें खुद पर भरोसा करना होगा, यही रहस्य है। तब भी, जब मैं अनाथालय में था, जब मैं गलियों में कुछ खाने की तलाश में भटका करता था, तब भी मैं खुद को दुनिया का महानतम अभिनेता समझता था। मुझे महसूस करनी ही थी अपने भीतर के आत्मविश्वास की वह गहराई। उसके बगैर तुम पराजय की ओर बढ़ जाते हो।
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एक आवारा, एक भलमानस, एक कवि, एक सपने देखनेवाला, एक अकेला आदमी… हरवक्त प्रणय और साहसिकता के लिए आशान्वित रहते हैं।
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जीवन में कम से कम अपने बारे में एक बार जरूर सोचो, नहीं तो तुम संसार के सबसे सुंदर व्यंग से वंचित रह जाओगे।
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बिना मुस्कुराए बिताया एक दिन, व्यर्थ चला जाता है।
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तुम्हें इंद्रधनुष कभी नहीं मिल सकेगा, अगर तुम नीचे देख रहे हो।
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मेरा दर्द किसी की मुस्कुराहटों का कारण हो सकता है। पर मेरी हँसी किसी के दुःख का कारण कभी नहीं हो सकती।
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उत्कर्ष कवि हैं, उनसे yatharthutkarsh@gmail.com पर संपर्क किया जा सकता है।