
राजकमल चौधरीक किछु मैथिली कविता :: हम कविता लिखइ छी, सदत अपना हेतु मात्र अपनेटा हेतु… अहिपन अहिपन मे नहि लिखू फूल पात-लता-चक्र हे स्वप्न-संभवा कामिनी, आब नहि घोरू सिनूर आ उज्जर पिठार! जखन पूर्णिमेक साँझ मे चन्द्रमा भ’ गेल छथि पीयर आ बक्र आब नहि फोलि क’ राखू अप्पन मोनक दुआर! हे स्वप्न-संभवा कामिनी, आब एहि घर-आङन मे अनागतक प्रतीक्षा जुनि करू, जुनि करू… अहिपनक फूल-पात-लता बनि जायत गहुमन...