कविता ::
मरीना स्वेताएवा
अनुवाद : अंचित

मरीना स्वेताएवा, तस्वीर साभार : poetryfoundation.org

माथे पर एक चुम्बन – दर्द मिटा देता है।
मैं तुम्हारा माथा चूमती हूँ ।

आँखों पर एक चुम्बन – अनिद्रा भगाता है।
मैं तुम्हारी आँखें चूमती हूँ।

होंठों पर एक चुम्बन – पानी की एक घूँट।
मैं चूमती हूँ तुम्हारे होंठ।

माथे पर एक चुम्बन- मिटाता है याद।

(1917)

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मरीना स्वेताएवा प्रसिद्ध रूसी कवि हैं । उन्होनें एक दुखद जीवन जिया और अंत में आत्महत्या की। इसीलिए उनके पास कविता हमेशा आती रही। अंचित द्वारा अनूदित यह कविता इल्या कमिन्स्की के अंग्रेज़ी अनुवाद पर आधारित है।