सिर्फ़ ईश्वर जानता है मैं तुमसे कितना प्यार करता हूँ

उद्धरण ::
गेब्रियल गार्सिया मार्केज

अनुवाद और प्रस्तुति : अंचित

लव इन द टाइम्ज़ ऑफ़ कॉलरा, मार्केज की अमर कृति है और एक वैश्विक महामारी के समय में एक आधी शताब्दी से इंतज़ार करते आदमी को उसका प्रेम वापस मिल जाने की कहानी है। प्यार से छूट जाने के बाद, सिर्फ़ प्यार के दोबारा मिल पाने की उम्मीद और इंतज़ार की आस्था में जिया जा सकता है। मार्केज की यह कथा, अकेले छूट गए प्रेमियों के स्वप्नों में उम्मीद और सहारे की कपोल कल्पना भर सकने और उन्हें आत्महत्या से बचाने में भारी सहायक होती है। दुनिया के तमाम दुःख जिए जा सकते हैं, लेकिन छूट गए प्रेम का दुःख बिना किसी निष्कर्ष के आता है। किताब का पाठ जीने के लिए ऑक्सिजन की तरह है और प्रेम से बड़ी बीमारी कुछ नहीं इसको भी स्थापित करने में सहायक है। अभी इसी संग्रह से कुछ उद्धरण आपके समक्ष प्रस्तुत हैं—

मानवता, सेनाओं की तरह हमेशा सबसे धीमी गति से चलती है।

समझदारी हमें तब आती है जब हमारे पास से उसका इस्तेमाल ख़त्म हो जाता है।

कोई प्यार के बिना तो ख़ुश हो ही सकता है, प्यार होते हुए भी ख़ुश हो सकता है।

मैं तुम्हारे लिये अभी तक कुंवारा रहा हूँ।

वह जानती थी कि वह उससे दुनिया की सारी चीज़ों से ज़्यादा प्यार करता है, लेकिन सिर्फ़ खुद के लिए।

मुझे ईश्वर में भरोसा नहीं है, लेकिन मुझे उनसे डर लगता है।

जब तक तुम जवान हो, इसका फ़ायदा उठा लो- जितना दर्द झेल सकते हो झेल लो, क्योंकि ये चीज़ें ज़िंदगी में हमेशा नहीं रहने वालीं।

हमेशा याद रखिए कि एक अच्छी शादी का मतलब ख़ुशी नहीं, स्थायित्व होता है।

और फिर बिना एक दूसरे से सम्भोग किए, दोनों ने एक दूसरे से बहुत देर तक खामोशी से प्यार किया।

सिर्फ़ ईश्वर जानता है मैं तुमसे कितना प्यार करता हूँ।

और वही वह साल था जब वे सब बर्बाद कर देने वाले प्यार में पड़ गए। दोनो में से कोई कुछ और कर ही नहीं पा रहा था- सिवाय एक दूसरे के बारे में सोचने के, सिवाय एक दूसरे के ख़्वाब देखने के- और वे चिट्ठियाँ लिखा करते थे जिनके जवाब का इंतज़ार करते हुए दोनों बेचैनी से जूझा करते।

और जब एक औरत यह तय कर लेती है कि वह एक आदमी के साथ सोना चाहती है तो वह हर दीवार लांघती है, हर क़िला तोड़ सकती है, ऐसा कोई नियम नहीं होता जिसको वह पूरी तरह से नहीं तोड़ती और कोई भी भगवान उसकी चिंताओं में नहीं आता।

“फ़र्मिना,” उसने कहा, “मैं इस मौक़े के लिए आधी शताब्दी से इंतज़ार कर रहा हूँ ताकि मैं अपनी वफ़ा और सच्ची मोहब्बत का वादा तुम्हारे सामने दोहरा सकूँ।”

”…और दिल की यादें बुराई को मिटा देती हैं और अच्छाई को और चमकदार बना देती हैं। इसी वजह से हम अपनी स्मृतियों का बोझ उठा पाते हैं।”

मरते हुए बहुत अफ़सोस रहेगा, अगर मैं प्यार के लिए नहीं मरा।

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अंचित से anchitthepoet@gmail.com पर बात की जा सकती है।

About the author

इन्द्रधनुष

जब समय और समाज इस तरह होते जाएँ, जैसे अभी हैं तो साहित्य ज़रूरी दवा है. इंद्रधनुष इस विस्तृत मरुस्थल में थोड़ी जगह हरी कर पाए, बचा पाए, नई बना पाए, इतनी ही आकांक्षा है.

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