जा रहे हम

संजय कुंदन की कविता : जा रहे हम

प्रस्तुति : अंचित

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संजय कुंदन चर्चित कवि-कथाकार हैं। उनसे sanjaykundan2@gmail.com पर संपर्क किया जा सकता है।

 

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इन्द्रधनुष

जब समय और समाज इस तरह होते जाएँ, जैसे अभी हैं तो साहित्य ज़रूरी दवा है. इंद्रधनुष इस विस्तृत मरुस्थल में थोड़ी जगह हरी कर पाए, बचा पाए, नई बना पाए, इतनी ही आकांक्षा है.

1 comment

  • समीचीन महत्व की कविता । सुंदर और प्रभावी पाठ । कविवर् और प्रस्तुति के लिए अंचित जी को साधुवाद । घर और संबंधित विषयों की कविताओं की शृंखला प्रस्तुत करें ।