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लीजिए, अब आप प्रेमचंद से बात कर रहे हैं

गद्यांश :: प्रेमचंद प्रेमचंद के बेटे अमृतराय द्वारा लिखी गई अपने पिता की जीवनी बहुत सुंदर और सुपाठ्य है, जिसको पढ़कर हमें मुंशीजी के बचपन और फिर समूचे जीवन में झाँकने का सुअवसर मिलता है। प्रेमचंद का जीवन उनकी लिखी दास्तानों की ही तरह मर्मस्पर्शी वृतांतों और मनुष्यता की गहराइयों से भरा हुआ है। प्रेमचंद के जीवन में झाँकना, आदमी के आईने में ताकने जैसा है, जिससे इस आधुनिक समय में बिखरते हुए नैतिक...

सारे आकर्षण रौशनी और परछाईं से बने हैं

उद्धरण :: लियो टॉलस्टॉय अनुवाद एवं प्रस्तुति : उत्कर्ष लियो टॉलस्टॉय [१८२८-१९१०] रूस के महानतम लेखक माने जाते हैं और विश्व के महानतम विचारकों और लेखकों में से एक, टॉलस्टॉय को उनके महत्तम उपन्यासों जैसे ‘वॉर एन्ड पीस’, ‘अन्ना कैरेनिना’, ‘द डेथ ऑफ इवान इलीच’, ‘रीसरेक्शन’ आदि के लिए आज भी याद किया जाता है। मुख्यतः ‘वॉर एन्ड पीस’ और...

Whenever he wanted, he could return

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Readings:: Sally Rooney’s Normal People : Shristi Reading makes you understand the world in a better way and gives you insight into others’ emotions and feelings. It’s one of the best ways to get in touch with people who can understand you. Recently I read Normal People by Sally Rooney. Marianne was like any other girl having her insecurities inside her heart. She had her share of...

पितृसत्ता का विपरीत मातृसत्ता नहीं बंधुत्व है

न से नारी :: उद्धरण : जर्मेन ग्रियर अनुवाद एवं प्रस्तुति :  प्रकृति पार्थ जर्मेन ग्रियर (जन्म 1939) का जन्म ऑस्ट्रेलिया में हुआ था और अब वे इंग्लैंड में रहती हैं. उनकी पुस्तक ‘द फीमेल यूनक‘ (1970) के प्रकाशन ने उन्हें एक लेखिका के रूप में और महिलाओं की मुक्ति और लैंगिकता पर एक आधिकारिक टिप्पणीकार के रूप में स्थापित किया. किताब के शीर्षक के अनुसार महिलाओं की लैंगिकता में निष्क्रियता...

स्त्रियों को पता होना चाहिए कि वे नियम तोड़ सकती हैं

न से नारी :: उद्धरण : ग्लोरिया स्टाइनम अनुवाद और प्रस्तुति : प्रिया प्रियादर्शिनी ग्लोरिया स्टाइनम एक अमेरिकी स्त्रीवादी पत्रकार और सामाजिक राजनीतिक कार्यकर्ता हैं.  1969 में, स्टाइनम ने ‘न्यूयॉर्क मैगजिन’ के अपने एक स्तम्भ में एक लेख प्रकाशित किया, “आफ्टर ब्लैक पॉवर, विमेन लिबरेशन”, इससे उन्हें एक स्त्रीवादी चिंतक के रूप में राष्ट्रीय प्रसिद्धि मिली.  वे “Ms.  Magazine” की सह–संस्थापक भी...

मैं एक स्त्री हूं जो खुद को जन्म दे रही है

न से नारी :: उद्धरण : एड्रिएन रिच अनुवाद और प्रस्तुति : प्रिया प्रियादर्शिनी एड्रिएन रिच अमेरिकी कवियत्री, निबन्धकार और नारीवादी थीं। उनकी कविताओं और लेखों में महिलाओं और समलैंगिकों के उत्पीड़न के खिलाफ प्रतिरोध दर्ज किया है. उनका सबसे प्रसिद्ध कविता-संग्रह “स्नैपशॉट ऑफ अ डॉटर-इन-लॉ” एक मां और बहू के रूप में जेंडर के प्रभाव का एक गहन विष्लेषण प्रस्तुत करता है. नारीवाद पर रिच के विचार उनके कार्यों...

सत्याग्रह सर्वोपरि बल है

उद्धरण :: महात्मा गांधी शरीर का सुख कैसे मिले, यही आज की सभ्यता ढूँढती है, और वो यही देने की कोशिश करती है। यह भी नहीं मिल पाता। • सत्याग्रह सर्वोपरि बल है। • मुझे प्रधानमंत्रियों से द्वेष नहीं है, लेकिन तजुर्बे से मैंने देखा है कि वे सच्चे देशाभिमानी नहीं कहे जा सकते। जिसे हम घूस कहते हैं, वह घूस वे खुल्लमखुल्ला नहीं लेते-देते, इसीलिए भले ही वे ईमानदार कहे जाएँ, लेकिन उनके पास वसीला काम कर सकता...

पूरा देश वध-स्थल की ओर जा रहा है

पाठ :: प्रभात प्रणीत पहले से विकसित होती सभ्यताओं ने हमें कितने घाव दिये हैं, हमें किन-किन जगहों पर बेधा है और कितनी तरह से अक्षम, पराजित साबित किया है, क्या इसका कोई प्रामाणिक हिसाब है हमारे पास? क्या इसकी विवेचना हेतु कोई प्रयास भी कहीं हो रहा है? ऐसा नहीं हो रहा है क्योंकि जिस दिन ऐसा कोई प्रयास प्रारंभ होगा उसी दिन यह रोज सृजित होती सभ्यताओं का अश्लील नृत्य भी रुक जायेगा और स्वाभाविक है इसलिए...

संवाद आत्मा की ज़रूरत है

उद्धरण :: निर्मल वर्मा चयन और प्रस्तुति : उत्कर्ष निर्मल वर्मा ( जन्म 3 अप्रैल 1929, शिमला, हि. प्र. – निधन 25 अक्तूबर 2005, दिल्ली ), यह नाम हिंदी साहित्य-जगत में किसी परिचय का मोहताज नहीं है। अपनी तरह का एक अनूठा एहसास। उनका लेखन सघन अनुभूतियों से उपजता है और पाठकों पर अपना सुदीर्घ ‘मौन’ छोड़ जाता है, जैसे उस ‘लाल टीन की छत’ की स्मृति साथ रह जाए। उनके रचना-समय का एक...

अधूरे आदमी को औरत पूरा करती है

उद्धरण :: कमलेश्वर चयन और प्रस्तुति : बालमुकुन्द आदमी को सिर्फ़ औरत की जरूरत होती है… पर औरत को हर आदमी की नहीं, उस आदमी की ज़रूरत होती है, जिसे वह मन से समझ सके। • औरत और आदमी में सही प्यार हो तो आदमी घर का रास्ता कभी नहीं भूलता…। • ज़िंदगी का मैथेमेटिक्स बिल्कुल अलग होता है। इसमें एक और एक मिलकर एक होना चाहते हैं, पर ज़्यादातर एक और एक मिलकर दो हो जाते हैं, या ग्यारह बनकर रह जाते...