स्त्री संसार ::
कविता : वारसन शायर
अनुवाद एवं प्रस्तुति : प्रकृति पार्थ

रातों-रात नागरिक से रिफ्यूजी बन जाना क्या होता है ये वारसन शायर की कविता होम में दर्शाया गया है। ब्रिटिश-सोमाली कवि वारसन शायर अपनी कविता होम में जंग से विस्थापित शरणार्थियों के हाल को लिखती हैं। शायर उन निर्दोष नागरिकों के भयावह अनुभव को साझा करती हैं जो ऐसे युद्धों का शिकार बन जाते हैं जिनके बारे में हम सामान्य दिनों में कभी सोच भी नहीं सकते। एक शरणार्थी के रूप में शायर का अनुभव कविता के निर्माण से पहले भी प्रासंगिक रहा है। आज हम ऐसे युद्धों के बारे में जानते हैं। हम इसके बारे में रोज़ पढ़ते हैं, वीडियो देखते हैं, पक्ष लेने या अलग रहने के बहस में शामिल होते हैं और फिर अपने पुरानी दिनचर्या में वापस चले जाते हैं। साहित्य के पास चीजों को जीवित रखने का तरीका होता है। यह अनुवाद हर उस बच्चे के लिए है जिसे बड़े होने का मौका नहीं मिला, हर उस व्यक्ति के लिए जो धुएं के बिना आसमान नहीं देख पाया, हर वह व्यक्ति जो अपनी गृहस्थी नहीं बना सका या ऐसा स्थान नहीं खोज पाया जिसे वो घर कह सके।

घर

कोई घर नहीं छोड़ता
जब तक घर शार्क का मुँह ना बन जाए
तुम सीमा के लिए तभी भागते हो
जब तुम पूरे शहर को भी देखते हो भागते हुए
तुम्हारे पड़ोसी को तुमसे तेज़ भागते हुए।

खून से भरी साँसें गले में,
वो लड़का जिसके साथ तुम स्कूल गए थे
पुराने टिन कारखाने के पीछे जिसके चूमने से तुमको चक्कर आ गया था
उसने अपने शरीर से भी बड़ी बंदूक पकड़ रखी है।

तुम घर तभी छोड़ते हो
जब घर तुम्हें रहने ना दे
जब तक घर तुम्हारा पीछा ना करे
तब तक कोई घर नहीं छोड़ता।

पैरों के नीचे आग
पेट में गर्म खून।

ये वो नहीं जिसे करने के बारे में तुमने कभी सोचा हो
जबतक ब्लेड से जलने नहीं लगी वो धमकियां तुम्हारी गर्दन में
और फिर भी तुम उठाए फिर रहे थे राष्ट्रगान अपनी सांसों में
केवल हवाई अड्डे के टॉयलेट में अपना पासपोर्ट फाड़ने
और कागज़ के हर कौर पर सिसकने ने
ये साफ किया कि अब तुम वापस नहीं जाओगे।

तुम्हें समझना होगा
कि कोई भी अपने बच्चों को नाव में नहीं रखता
जब तक पानी ज़मीन से ज़्यादा सुरक्षित ना हो।

कोई अपनी हथेलियाँ नहीं जलाता
ट्रेनों के नीचे
गाड़ियों के नीचे
कोई ट्रक के पेट में दिन-रात नहीं गुजारता
अखबार खाते हुए जब तक तय किए मीलों की यात्रा
का मतलब उस सफ़र से कुछ ज़्यादा हो।

कोई भी बाड़ के नीचे नहीं रेंगता
कोई भी पिटना नहीं चाहता
या तरस खाना

कोई भी रिफ्यूजी कैंप नहीं चुनता
या टटोल कर तलाशी लिया जाना जहां
शरीर दुखने लगे
या फिर जेल,
क्योंकि जेल अधिक सुरक्षित है
जल रहे शहर की तुलना में।

एक जेल प्रहरी
रात के समय
बेहतर है भरे हुए ट्रक से
जिनमें चढ़े आदमी आपके पिता की तरह दिखते हों

कोई इसे सह नहीं सकता
कोई इसे पचा नहीं सकता
किसी की भी त्वचा इतनी सख्त नहीं होगी।

अश्वेतों वापस जाओ
शरणार्थी
गंदे आप्रवासी
शरण खोजने वाले
हमारे देश को सूखा चूसने वाले
हब्शी अपने हाथ फैलाए हुए

उनसे अजीब गंध आती है
असभ्य, बर्बाद कर दिया अपना देश
और अब चाहते हैं
हमारा बर्बाद करना।

कैसे वो शब्द
वो घिन्न से ताकना
तुम्हारे पीठ पर से ससर जाते हैं
क्योंकि मार अधिक कोमल है शायद
एक अंग को चीर लिए जाने से

या वे शब्द अधिक नर्म हैं
तुम्हारी टांगों के बीच चौदह आदमियों से
या अपमान ज़्यादा आसान है
निगलना
मलबे से
हड्डी से
तुम्हारे बच्चे के शरीर से
जो टुकड़ों में है।

मुझे घर जाना है
लेकिन घर शार्क का मुँह है
घर बंदूक की नली है
और कोई भी घर छोड़कर नहीं जायेगा
जब तक कि घर तुम्हें किनारे तक न ले जाए
जब तक घर तुम्हें ना कहे
अपने पैरों को तेज़ करने को
अपने कपड़े पीछे छोड़ देने को
रेगिस्तान में रेंगने को
महासागरों को बीच से पार करने को

डूबना
बचाना
भूख बनना—
भीख मांगना
अभिमान भूल जाओ
तुम्हारा अस्तित्व अधिक महत्वपूर्ण है

कोई भी घर तब तक नहीं छोड़ता
जब तक उनके कानों में पसीने से तर आवाज़ न आ जाए
कहते हुए
निकल जाओ
अब मुझसे दूर भाग जाओ
मुझे नहीं पता कि मैं क्या बन गया हूँ
लेकिन मैं ये जानता हूँ कि कोई भी जगह
यहाँ से ज़्यादा सुरक्षित है।

***

प्रकृति पार्थ अंग्रेज़ी में स्नातकोत्तर हैं। वे अंग्रेज़ी में कविताएँ लिखती हैं और उन्होंने अंग्रेज़ी से कई स्त्री-चिंतकों, कवियों और लेखकों के अनुवाद हिन्दी में संभव किए हैं। उनसे prakritiparth04@gmail.com पर बात हो सकती है। वारसन शायर की अन्य कविताओं के लिए यहाँ देखें  : उस औरत के लिए प्रश्न जो मैं कल रात थी