कविताएँ : शक्ति चट्टोपाध्याय
अनुवाद : अंचित
तुम्हें दुख का कोई डर नहीं
तुम्हें दुख का कोई डर नहीं, थोड़ा भी नहीं। वह भी तुमसे प्यार करता है।
क्या कभी तुम प्यार के ख़्याल से डरते हो? क्या तुम ख़ुशी से भी डरते हो?
अगर सिर्फ़ अनुभव करने के ख़्याल से भी समंदर की तरफ़ जाया जाये,
क्या तुम्हारे पास डर का कोई कारण है? क्या ख़ुशी है वहाँ?
पेड़ों की क़तार, समंदर के किनारे;
वहाँ उन हारी हुई छायाओं में एक बार बैठो,
देखो पत्थरों की खामोशी।
फिर भी क्या तुम डरे हुए हो? क्या डर सब जगह है?
मुझे तुम्हारे उस अज्ञानी डर से दूसरे अर्थ मिलते हैं।
मैं खड़ा हूँ हाथ फैलाए
एक आदमी अकेला खड़ा है हाथ फैलाए
सुनहरे भुट्टे के खेत में।
उसने हाथ फैलाए हुए हैं।
और खड़ा है पूरा दिन
सुनहरे भुट्टे के खेतों में।
धरती माँ, हमारी ज़रूरतें पूरी करो। वह कहता है,
इन दूर-दूर तक फैले खेतों के बीच
एकदम अकेला खड़ा।
और उसके ख़ाली हाथ धीरे-धीरे भर जाते हैं।
मृत्यु
एक चिता जलती है, पूरे मसान में फैलती हुई
और मुझे ख़ुद को जलाना पसंद है, जलने से मोहब्बत भी।
काश मैं किसी नदी के किनारे जल सकता।
क्योंकि एक समय आता है और यह समय आ सकता है कि
लपटें नदी के किनारे पर बर्दाश्त के बाहर हो जाएँ
और लाश पानी की एक बूँद के लिए हाथ बढ़ाए।
फिर मृत्यु का लक्ष्य पूरा नहीं होता
क़तई पूरा नहीं होता।
मुझसे कहो मुझसे प्यार करती हो
यहाँ अस्पताल में, मैं पाता हूँ कि सिर्फ़ मैं ही बीमार हूँ।
बाक़ी सब अच्छे हैं, जीवन से भरे हुए–
जो बरामदों में एक तरफ़ से दूसरी तरफ़ टहल रहे हैं,
जो तफ़री कर रहा हैं, जो खिड़कियों के पास खड़े पक्षियों को देखते हैं
उनसे कभी कभी बात करते हैं–
यहाँ अख़बार आते ही नहीं
रोज़मर्रा की खबरों का क्या मतलब, जैसे तेल की क़ीमत?
यहाँ सोने से महँगे भी वो लोग हैं जो स्वस्थ हैं!
मैं बीमार हूँ। मैं इकलौता हूँ जो बीमार हूँ तो
यहाँ मैं कभी लेटा रहता हूँ या बैठा या खड़ा आईने के सामने।
यहीं, तुम, मेरे दिल से बात करती हो। कोई छाया या जिन्न
जो कोई भी हो तुम, मेरी अंतरात्मा से बात करो।
कहो मुझसे प्यार के बारे में, अगर प्यार एक सूई की तरह निष्ठुर है तब भी।
अर्थहीन शब्दों में बात करो, मेरी आत्मा से बात करो। बारिश के शब्दों में मुझसे बात करो,
बिजली से तरंगित शब्दों में मुझसे बात करो
और जड़ों के शब्दों में मुझसे बात करो—
कहो, कि तुम ठीक हो और तुम्हारी बीमारी चली गई है
कहो, कि तुम मुझसे प्यार करती हो और इसलिए तुम ठीक हो गई हो।
सिर्फ़ दो दिनों के लिए
घर से दूर रहना सिर्फ़ दो दिनों के लिए
सिर्फ़ दो दिनों के लिए घर छोड़ कर रास्ते पर निकल जाना।
जंगल में एक बंगला जहाँ से नीचे देखा जा सकता है
एक पारदर्शी सोता, नदी की ओर गिरता हुआ
जहाँ दो नहरें भागतीं हैं जंगल से भरे पहाड़ों की ओर
दो नहरें इस तरह खुले मैदान की तरफ़ गिरती हैं मानो
एक स्त्री की जाँघें; यह झील के आसपास का पूरा दृश्य
कितना मनमोहक— खींचता है— लेकिन सिर्फ़ दो दिनों के लिए,
हर समय नहीं।
हमेशा,
घर में होना है
अपने हृदय के सबसे अंतरतम कोनों में रहना।
अगर तुम्हारी इच्छा है तो मुझे दुख दो
मुझे दुख दो अगर तुम्हारी इच्छा है, मुझे दुख दिये जाने से प्रेम है।
मुझे दुख दो, यही दुख— मुझे दुख दिये जाने से प्रेम है।
लेकिन तुम, तुम अपने आनंद के साथ जियो, खुश रहो, द्वार खुला है।
इस घर में, आकाश के नीचे, सेमर के पेड़ की छूअन से तरंगित
जहाँ मैं खड़ा हूँ वहाँ से पेड़ का उठान देखता हूँ।
इसलिए यात्री पेड़ के नीचे खड़ा है, इसलिए।
बिल्कुल अकेला, मैं इस सुंदरता का नेहपूर्ण आमंत्रण देखता हूँ।
अच्छा हो या बुरा, मेघ तैरते हैं, आकाश को थोड़ा और फैलाते हैं
जैसे हवा मुझे अपनी बाहों में जकड़ती है, अपने पास रखती है।
मुझे दुख दो अगर तुम्हारी इच्छा है, मुझे दुख दिये जाने से प्रेम है।
मुझे दुख दो, यही दुख— मुझे दुख दिये जाने से प्रेम है।
मुझे फूलों में काँटे पसंद हैं और अपनी ग़लतियों में मौजूद पश्चाताप से प्रेम है।
मुझे नदी किनारे एक थके हुए पत्थर की तरह बैठे रहने से प्रेम है।
नदी में कितना पानी है, प्रेम, कोमल नीला पानी—
इससे, मैं डरता हूँ।
स्मृति-लेख
यह एक मनुष्य की तरह मरा, एक समय तक जीवन के सभी
आनंद अनुभव करने के बाद। यह एक कवि था।
यह आदमी एक भिखारी भी था।
इसकी मृत्यु पर प्रकाशकों ने भोज रखा
और इत्मीनान महसूस किया क्योंकि यह चला गया।
यह आदमी अब उनको कभी परेशान नहीं करेगा।
अब यह सलीक़े से तैयार होकर शामों को नहीं आएगा
और कहेगा: मुझे पैसे दो और यहाँ सारा कुछ उलट पलट हो जाएगा।
तिजोरी लूट ली जाएगी— इसलिए तुरंत पैसे दो।
वरना मैं तुम्हारे घर में आग लगा दूँगा।
लेकिन यह व्यक्ति ख़ुद ही जल मरा
जो कवि और भिखारी दोनों था।
शक्ति चट्टोपाध्याय बांग्ला के महत्वपूर्ण और चर्चित कवियों में से हैं। प्रस्तुत अनुवाद, प्रसिद्ध अंग्रेज़ी कवि जयंत महापात्रा के अंग्रेज़ी अनुवादों पर आधारित हैं। शक्ति चट्टोपाध्याय की और कविताएँ पढ़ने के लिए यहाँ देखें : मेरा ख़त तो लौट आया है