न से नारी ::
उद्धरण : ग्लोरिया स्टाइनम
अनुवाद और प्रस्तुति : प्रिया प्रियादर्शिनी

ग्लोरिया स्टाइनम एक अमेरिकी स्त्रीवादी पत्रकार और सामाजिक राजनीतिक कार्यकर्ता हैं.  1969 में, स्टाइनम ने ‘न्यूयॉर्क मैगजिन’ के अपने एक स्तम्भ में एक लेख प्रकाशित किया, “आफ्टर ब्लैक पॉवर, विमेन लिबरेशन”, इससे उन्हें एक स्त्रीवादी चिंतक के रूप में राष्ट्रीय प्रसिद्धि मिली.  वे “Ms.  Magazine” की सह–संस्थापक भी रहीं. वह एक नई पत्रिका की शुरुआत करना चाहती थीं जो समकालीन मुद्दों को स्त्रीवादी दृष्टिकोण से देखे.  “एज़ इफ विमेन मैटर”, “माइ लाइफ ऑन द रोड”, “मूविंग बेयोंड द वर्ड्स”, “रिवोल्यूशन फ्रॉम विदिन” और “द ट्रुथ विल सेट यू फ्री, बट फर्स्ट ईट विल पीस यू ऑफ़” आदि उनकी कुछ प्रख्यात पुस्तकें हैं.

—प्रिया प्रियादर्शिनी

जो स्त्रियों और पुरुषों की समानता और पूर्ण मानवता को पहचान सके वही असल में स्त्रीवादी है.

स्त्रियों को दुनिया के लायक बनाने के बारे में मत सोचो— दुनिया को स्त्रियों के लायक बनाने के बारे में सोचो.

हमने बेटियों को बेटों की तरह पालना शुरू कर दिया है…लेकिन कुछ ही लोगों में हमारे बेटों को बेटियों की तरह पालने की हिम्मत है.

मैंने अभी तक एक भी पुरुष को यह सलाह मांगते नहीं सुना कि शादी और करियर में कैसे सामंजस्य बैठाया जाए.

स्त्रियों को पता होना चाहिए कि वे नियम तोड़ सकती हैं.

समानता के लिए स्त्रियों के संघर्ष की कहानी किसी एक स्त्रीवादी या किसी एक संगठन की नहीं है, बल्कि उन सब के सामूहिक प्रयास की है जो मानवाधिकारों की परवाह करते हैं.

पुरुषों द्वारा स्त्रियों के खिलाफ हिंसा की उत्पत्ति जैविक नहीं है. अगर ऐसा होता तो यह हर संस्कृति में मौजूद होता, और यह हर संस्कृति में मौजूद नहीं है.

एक लिंग– समान समाज वह होगा जहां ‘लिंग’ शब्द मौजूद न हो : जहां हर कोई स्वयं हो सके.
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प्रिया प्रियादर्शनी कवि हैं और पटना विश्वविद्यालय में स्नातकोत्तर की छात्र हैं. उनसे priyapriyadarshni99@gmail.com पर बात की जा सकती है. इन्द्रधनुष के साप्ताहिक स्तम्भ ‘न से नारी’ के अंतर्गत स्त्री-विमर्श के प्रमुख हस्ताक्षरों के रचना-संसार से हम आपको निरन्तर साक्षात्कार करवा रहे रहे है. इस स्तम्भ की अन्य प्रस्तुतियों के लिए यहाँ देखें : न से नारी