चार्ल्स बुकोविस्की की कविताएँ :
अनुवाद एवं प्रस्तुति : तनुज
16 अगस्त 1920 को मशहूर अमेरिकी-जर्मन कवि चार्ल्स बुकोविस्की का जन्म हुआ था। उनका लेखन उनके गृह नगर लॉस एंजिल्स के सामाजिक, सांस्कृतिक और आर्थिक परिवेश से प्रभावित रहा था। उनका काम गरीब अमेरिकियों के सामान्य जीवन, लेखन के कार्य, शराब, महिलाओं के साथ संबंध और मेहनतकश मध्य-वर्गों की ऐन्द्रिय जटिलताओं एवं कुंठाओं को संबोधित करता है। बुकोव्स्की ने हजारों कविताएँ, सैकड़ों लघु कथाएँ और छह उपन्यास लिखे, अंततः 60 से अधिक पुस्तकें प्रकाशित कीं। आज, उनके जन्मदिन के अवसर पर प्रस्तुत हैं, अंग्रेजी से हिंदी में अनूदित चंद कविताएँ—
आठ मायने रखता है
अपने बिस्तर से
मैं निहारता हूँ
टेलीफ़ोन वायर के ऊपर
बैठे हुए उन तीन पंछियों को
पहले वहाँ से एक पंछी उड़ा
फिर दूसरा
फिर तीसरा,
जो वहाँ बैठा रहा था कुछ देर
वह भी उड़ जाता है
क्षण बाद,
कम्बख़्त यह टाइप-राइटर
अब भी स्थिर है किसी
समाधि-स्तंभ की तरह
यहाँ मैं लगभग घट चुका हूँ
इन पंछियों को देखने के
एक दृश्य के भीतर
कुछ और बात नहीं बस;
अभी-अभी यह ख़्याल आया कि
यह बात तुम सब को बता दूँ,
जाहिलों!
हम सब
हम सब यहाँ है
एक दूसरे की
विसंगतियों पर हंसने के लिए
और जीवन जीने के लिए—
इतने सफल, कि
मृत्यु भी हमें
अपने साथ ले चलने से
घबरा जाएं।
खोज़
पराया बिस्तर
पराई स्त्री
दूसरों के गुसलखाने में
अधिक परदे,
परायी रसोई
परायी आँखें
पराये केश
पराये पांव और पांवों कीं उँगलियाँ
हम सब देख रहे हैं
वह चिरकालिक खोज़
अनुमान एक
काटकर अपना ही एक कान
वैन गॉग दे आया था
किसी वेश्या को
घृणा की चरम सीमा पर
पहुंचकर वह वेश्या,
फेंक देती है उसे—
अपने से बहुत दूर
वैन!
वेश्याएं नहीं चाहती हैं
तुमसे तुम्हारा कान,
वे तो चाहती हैं ख़ूब सारा पैसा
अचंभित नहीं होता सोचकर मैं
तुम इतने महान कलाकार कैसे बने;
क्योंकि तुम्हें कुछ भी
दुनियावी समझ नहीं!
शुभ रात्रि
मैंने कहा था तब
शुभ रात्रि!
फिर अपनी
गाड़ी में बैठकर
वापिस चला आया
कम्बख़्त कीड़े हँसते रहे
रास्ते भर…
एक जवान, उसकी पत्नी और उसके नितंब
युद्ध अपनी क़ीमत चुकाता है
अमन कभी लंबा नहीं टिकता
लाखों युवा रोज मरते हैं
इस दुनिया में
और मैं सुनता हूँ शास्त्रीय संगीत
जिसे सुना था हमने कभी
बेकरार प्रेम करते हुए
अफ़सोस जताते हुए
शोतकोविच, ब्रह्मस, मोज़ार्ट,
के माध्यम से,
तेज स्वर एवं
इसकी पराकाष्ठा पर पहुंच कर;
इन अंधेरों की साझी दीवारों के बीच!
आज रात
पीछे देखते हुए
उन तमाम बीती राहों को,
मुझे विश्वास नहीं होता,
मैंने कुछ भी अलग किया हो!
हँसता हुआ हृदय
तुम्हारा जीवन तुम्हारा जीवन है
पशुओं की तरह
इसे हल्के में मत गुजार दो!
हमेशा रहो सजग,
यहीं से फूटेंगी राहें,
कहीं तो होगी रौशनी,
हो सकता है बहुत रौशनी न हो!
मगर इतनी ज़रूर
कि हार जाए अंधेरा।
नीली चिड़िया
एक नीली चिड़िया रहा करती है
मेरे हृदय के भीतर
जो आना चाहती है
बाहर
लेकिन मैं
उसके लिए काफ़ी कठोर हूँ
मैं कहता हूँ,
वहीं बैठी रहो
नन्ही चिड़िया!
क्या तुम मुझे बर्बाद करना चाहती हो?
क्या तुम चाहती हो बिगाड़ना
मेरे सारे काम?
तुम चाहती हो
जला दो तुम—
यूरोप की सारी किताब की दुकानें?
कामुक मित्र
उस ख़रगोश के साथ
सबसे बड़ी दिक़्क़त है:
वह दिल दे बैठता है
हर एक औरत को,
जिससे भी वह मिलता है
वह बस उनके पास पहुँचता है
और करता है सीधे—
बिस्तर के लिए
प्रणय निवेदन
“मेरे हिसाब से
यह उसका ईमानदार पक्ष है”
कुछ बेहद पतनशील चरित्र ही
घुमाते हैं
बात को गोल-गोल…
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तनुज हिंदी की नयी पीढ़ी से सम्बद्ध कवि-अनुवादक हैं। उनसे tanujkumar5399@gmail.com पर बात हो सकती है। इन्द्रधनुष पर उनके पूर्व प्रकाशित कार्यों के लिए देखें : पद्यों का एक आयुधागार | धूल की तरह बिखरी हुई रहती है स्मृति | भूलने के लिए स्मृतियों का यातना-शिविर | मेरे होंठों पर स्वाद है परछाईयों की धूल का