मुझे अपने नाम से पुकारो

उद्धरण ::
आंद्रे आसिमान
चयन, अनुवाद और प्रस्तुति : अंचित

आंद्रे आसिमान इतालवी-अमेरिकन लेखक हैं और अमेरिका में रहते, पढ़ाते हैं। ‘कॉल मी बाई योर नेम’ उनका चर्चित उपन्यास है। यह सत्रह साल के लियो और चौबीस साल के ऑलिवर की कहानी है। इस उपन्यास से कुछ उद्धरण प्रस्तुत हैं—

आंद्रे आसिमान | तस्वीर : Time Magazine

जल्दी ठीक होने के चक्कर में हम ख़ुद में से इतने टुकड़े निकाल कर फेंक देते हैं कि तीस तक आते आते हमारे भीतर कुछ नहीं बचता। हर बार नयी शुरुआत करते हुए, दूसरे को देने के लिए हमारे पास और कम होता है। लेकिन कुछ महसूस नहीं करना कुछ भी महसूस नहीं करना है- और यह कितनी वाहियात बात है!

हमारे पास सितारे थे – मेरे और तुम्हारे पास! यह ज़िंदगी में सिर्फ़ एक बार मिलता है।

अगर वह मुझे इसी तरह हर रात सपने में मिलेगा तो मैं अपनी पूरी ज़िंदगी में बस सपने चाहूँगा। बाक़ी सब से किनारा कर लूँगा।

शायद हम दोस्त पहले थे और प्रेमी बाद में, लेकिन फिर प्रेमी दोस्त ही तो होते हैं।

अगर तुम रुके, तो तुम मुझे मार डालोगे।

अगर दुनिया में कोई सच है तो उसका होना तुम्हारे साथ ही तय होता है। अगर किसी दिन मुझमें इतनी हिम्मत हुई कि मैं तुमसे अपना सच कह पाया तो मुझे याद दिलाना, थैंक्सगिविंग के दिन मैं रोम के हर चर्च में मोमबत्ती जलाऊँगा।

काश कोई ऐसा एक दोस्त भी होता, जिसे खोना मेरे भाग्य में नहीं होता।

दर्द से पहले, दर्द के बारे में सोचो।

मुझे पक्का पता नहीं कि मैं यह करना चाहता हूँ लेकिन मुझे जानना है और किसी और से ज़्यादा तुम्हारे साथ। मुझे तुम्हारी देह को जानना है, तुम क्या महसूस करते हो यह जानना है, तुम्हें जानना है और तुमसे गुजर कर ख़ुद को।

मेरे चेहरे को देखो, मुझसे नज़रें मिलाओ और मुझे अपने नाम से पुकारो।

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अंचित से anchitthepoet@gmail.com पर बात की जा सकती है। फीचर्ड तस्वीर इसी उपन्यास पर बनी फ़िल्म ‘कॉल मी बाय योर नेम‘ का एक दृश्य।

About the author

इन्द्रधनुष

जब समय और समाज इस तरह होते जाएँ, जैसे अभी हैं तो साहित्य ज़रूरी दवा है. इंद्रधनुष इस विस्तृत मरुस्थल में थोड़ी जगह हरी कर पाए, बचा पाए, नई बना पाए, इतनी ही आकांक्षा है.

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