सेनेका के कुछ उद्धरण ::
चयन और प्रस्तुति : अंचित
सेनेका रोमन दार्शनिक था. वह नीरो का शिक्षक और सलाहकार भी रहा. हम सेनेका को उसके उदासीनता के दर्शन की वजह से जानते हैं. जब आप विरह में होते हैं या किसी तरह के दर्द में, किसी सदमें में, – तब कोई तरस खा कर आपको सेनेका की किताबें ला देता है. बहरहाल मेरे जैसे कवि के लिए उसका अधिकांश लिखा, “दिल को ख़ुश रखने को ग़ालिब ये ख़्याल अच्छा है” ही गुजरा. फिर भी इन पंक्तियों से यदि आपको सम्बल होता हो, तो अच्छी बात है.
कई बार सिर्फ़ जीना भी बहादुरी का काम है.
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सारी क्रूरताएँ कमजोरी से पैदा होती हैं.
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जैसे क़िस्से होते हैं, वैसे ही जीवन होता है; कितना लम्बा हो से ज़्यादा कितना शानदार हो, ये मायने रखता है.
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जीवन के किसी ख़ास हिस्से के लिए रोने की क्या ज़रूरत है? पूरा जीवन ही आंसुओं के लिए बना है .
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कोई भी बिना थोड़े पागलपन के असाधारण नहीं हो सकता.
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जीवन का इंतज़ार करते करते जीवन निकल जाता है.
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हम सब पागल हैं, व्यक्ति के स्तर पर नहीं, राष्ट्र के स्तर पर. हम छिटपुट इधर उधर हो रही हत्याओं की खबर रखते हैं लेकिन युद्ध का क्या और जो एक साथ पूरे समुदायों को ख़त्म कर देते हैं.
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हमें वह कहना चाहिए जो हमें महसूस होता है, हमें वह महसूस करना चाहिए जो हम कर रहे हैं. ज़िंदगी को कहन से लयबद्ध होने दो.
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क्योंकि तुम मुझे अक्सर ख़त लिखती हो, मैं तुम्हें शुक्रिया कहना चाहता हूँ. जैसे ही तुम्हारा ख़त आता है, मानों हम एक साथ हो जाते हैं.
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जल्दी करो और जियो.
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और कौन सी प्रगति मैंने की है ? मैंने ख़ुद से दोस्ती करनी शुरू की है.
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और ऐसे एक जगह से दूसरी जगह भागते रहने से तुम्हें सुकून नहीं होगा. तुम अपनी भावनाओं और दिक़्क़तों के साथ सफ़र कर रहे हो.
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अंचित कवि हैं. उनसे anchitthepoet@gmail.com पर बात हो सकती है.