न से नारी ::
उद्धरण : अनाईस नीन
अनुवाद एवं प्रस्तुति : सृष्टि

अनाईस नीन एक फ्रेंच – क्यूबन – अमेरिकन लेखिका थीं। इन्होंने ज़्यादातर डायरी और जर्नल की विधा में काम किया। नीन साहित्य जगत में अपने प्रेमकाव्य की वजह से भी बहुत जानी जाती हैं। उनकी कृतियों में ‘डेल्टा ऑफ़ वीनस’, द डायरी ऑफ़ अनाईस नीन’, ‘हेनरी एंड जून’ आदि प्रमुख हैं. इनकी मृत्यु कैंसर की वजह से हुई थी।

 

अपनी चाहतों की दुनिया का निर्माण ख़ुद ना करके, किसी पुरुष से उसका निर्माण करने की अपेक्षा रखना, किसी स्त्री के लिए कितना ग़लत है?

मुझे नफरत है उन पुरुषों से जो स्त्री की ताक़त से डरते हैं।

पुरुष कभी भी उस अकेलेपन को नहीं जान सकता जिसे एक स्त्री जानती है। पुरुष, स्त्री के गर्भ में सिर्फ़ शक्ति लेने के लिए रहता है। वो खुद को इस संधि से पोषित करता है और फिर वो उठ कर दुनिया में जाता है, अपने काम में, युद्ध में और कला में। वो अकेला नहीं है। वो व्यस्त है।

मेरे अंदर हमेशा दो औरतें रहीं हैं। एक जो हताश और हतप्रभ है, जिसे ये लगता है कि वह डूब रही है, और दूसरी जो किसी दृश्य में छलांग लगाती है, जैसे कि किसी मंच पर हो, अपनी सच्ची भावनाओं को छुपाती है, क्योंकि वे भावनाएँ कमज़ोरी, लाचारी और  निराशा की हैं। यह दूसरी औरत दुनिया के सामने एक हँसी, एक उत्सुकता, एक जिज्ञासा, एक उत्साह और गहन रूचि ही प्रस्तुत करती है।

अगर तुम अपने लिखे हुए शब्दों में साँस नहीं ले रही, अगर तुम अपने शब्दों में रो नहीं रही और उन्हीं शब्दों में गीत नहीं गा रही तो मत लिखो, क्योंकि फिर हमारी संस्कृति को उस तरह के लेखन की जरूरत नहीं है।

कल रात मैं रोई। मैं रोई क्योंकि जिस प्रक्रिया से मैं एक स्त्री बनी वो बहुत दर्दनाक था। मैं रोई क्योंकि मैं अब एक बच्ची नहीं रही, मैं वो बच्ची नहीं रही जिसके पास बच्चों वाला अंधविश्वास था। मैं रोई क्योंकि मैं अब भरोसा नहीं कर पा रही और मुझे भरोसा करना पसंद है। मैं अभी भी, बिना भरोसा किए हुए भी, पागलों की तरह प्यार कर सकती । इसका ये मतलब है कि मैं इंसानी तरीके से प्यार करती हूँ। मैं रोई क्योंकि मैंने अपना दर्द खो दिया है और मुझे अभी तक अपने दर्द की अनुपस्थिति की आदत नहीं पड़ी है।

मुझे लगता है कि कोई इसलिए लिखता है क्योंकि उसको एक ऐसी दुनिया का निर्माण करना है जिसमें वो रह सके।

मुझे एहसास है कि मैं एक सुन्दर से जेल में क़ैद हूँ और इससे बाहर निकलने का एक मात्र जरिया मेरे शब्द हैं।

~●~

सृष्टि कवि और अनुवादक हैं. उनसे shristithakur94@gmail.com पर बात हो सकती है.