न से नारी ::
उद्धरण : बेल हुक्स
अनुवाद और प्रस्तुति : प्रिया प्रियादर्शनी

बेल हुक्स का वास्तविक नाम ग्लोरिया जीन वॉटकिंस हैं। वह एक अमेरिकी लेखिका, प्रोफ़ेसर, स्त्रीवादी और सामाजिक कार्यकर्ता हैं। उनके कार्यों में मेरी रूचि तब बढ़ी जब मैं इक्कीसवीं सदी के  स्त्रीवादी आंदोलनों के बारे में पढ़ रही थी। मुझे उनके idea of inclusivity ने बेहद प्रभावित किया। वह कहती हैं कि स्त्रीवादी आंदोलन में पुरुषों का शामिल होना बहुत जरूरी है। बदलाव के लिए पुरुष जाति को भी अपना योगदान देने का मौक़ा मिलना चाहिए। उन्होंने कई विषयों पर बात की है जैसे जातिवाद, वर्गीकरण और जेंडर के मुद्दे। वे मानती हैं कि स्त्रीवादी आंदोलन की सफलता के लिए हमें अपने आपसी मतभेदों को स्वीकार करना होगा। हम पितृसत्ता से तब तक नहीं जीत सकते जब तक सभी स्त्रियों को बराबरी का दर्जा न दिया जाए।

—प्रिया प्रियादर्शिनी

बेल हुक्स

किसी बड़े पैमाने पर स्त्रीवादी आंदोलन का होना तब तक मुमकिन नहीं जब तक स्त्रीवाद के तर्क कुछ सुशिक्षित लोगों तक ही सीमित हैं।

लिंग के आधार पर होने वाले उत्पीड़न को खत्म करने का संघर्ष उन केंद्रों को नष्ट करता है जो सांस्कृतिक आधार पर सत्ता कायम रखते हैं। यह आज़ादी की दूसरी लड़ाईयों को भी मजबूत करता है।

स्त्रीवाद एक संघर्ष है, जो लैंगिक स्तर पर होने वाले उत्पीड़न को समाप्त करता है। इसलिए, यह संघर्ष पश्चिमी संस्कृति के विभिन्न स्तरों पर कायम वर्चस्व की विचारधारा को भी खत्म करता है। साथ ही यह समाज को पुनगर्ठित करने की प्रतिबद्धता है ताकि लोगों के व्यक्तिगत विकास को साम्राज्यवाद, आर्थिक विस्तार, और भौतिक इच्छाओं से अधिक प्रधानता दी जाए।

महिलाओं के लिए यह जानना बेहद आवश्यक है कि वे सत्ताधारी लोगों द्वारा दी गयी वास्तविकता की परिभाषा को अस्वीकार कर सकती हैं।…कि वे गरीब, शोषित, या दमनकारी परिस्थितियों में फंसे होने पर भी ऐसा कर सकती हैं।

उत्पीड़ित होने का अर्थ है, अपनी चयन करने की क्षमता से वंचित होना।

दुर्भाग्य से, रचनात्मक टकराव में संलग्न होने के बजाय उपेक्षा करना, खारिज करना, अस्वीकार करना और यहाँ तक कि एक-दूसरे को चोट पहुंचाना अक्सर आसान होता है।

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न से नारी’ इन्द्रधनुष पर शुरू हुआ नया स्तम्भ है। इस स्तम्भ के अंतर्गत स्त्री विमर्श के प्रमुख हस्ताक्षरों के महत्वपूर्ण लेखों, कहानियों, कविताओं में से प्रसंग, लेख, काव्यांश और उद्धरण प्रस्तुत किये जायेंगे। स्त्रियों की बात स्त्रियों के ज़रिये और उनके चयन के माध्यम से सामने आये, ध्येय यह भी है।  हमारी यह भी कोशिश रहेगी कि एक ऐसा स्पेस बन सके जहाँ संवाद और स्त्री विमर्श में विस्तार संभव हो सके। यह पूरा काम, इन्द्रधनुष के अंतर्गत काम कर रही विशिष्ट टीम “द फेनोमेनल वीमेन” की सदस्य देख रही हैं।

प्रिया प्रियादर्शनी कवि हैं और पटना विश्वविद्यालय में स्नातकोत्तर की छात्र हैं। उनसे priyapriyadarshni99@gmail.com  पर बात की जा सकती है। इस स्तम्भ के तहत पूर्व प्रकाशित प्रविष्टि के लिए यहाँ देखें : मैं हर वो औरत हूँ जिसे प्यार चाहिए

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