• मुख्यपृष्ठ
  • संपादकीय
  • विधाएँ
    • कविता
    • कहानी
    • कथेतर
    • अनुवाद
    • उद्धरण
    • नए पत्ते
    • लोक भाषा
    • कविता-भित्ति
    • स्त्री-संसार
    • English Literature
  • परिचय
  • रचनाएँ भेजें
  • संपर्क
इंद्रधनुष
  • मुख्यपृष्ठ
  • संपादकीय
  • विधाएँ
    • कविता
    • कहानी
    • कथेतर
    • अनुवाद
    • उद्धरण
    • नए पत्ते
    • लोक भाषा
    • कविता-भित्ति
    • स्त्री-संसार
    • English Literature
  • परिचय
  • रचनाएँ भेजें
  • संपर्क

Press ESC to close

Or check our Popular Categories...
कविता कथेतर नए पत्ते अनुवाद English Literature विश्व कविता

कविता

117   Articles

117

कथेतर

66   Articles

66

नए पत्ते

35   Articles

35

अनुवाद

35   Articles

35

English Literature

32   Articles

32

उद्धरण

25   Articles

25

कहानी

21   Articles

21

कविता-भित्ति

13   Articles

13

स्त्री-संसार

12   Articles

12

संपादकीय

9   Articles

9

लोक भाषा

7   Articles

7

कल मेरे आलिंगन तुम्हें अजगर के पाश जैसे लगेंगे

जनवरी 9, 2024
जनवरी 9, 2024

कविताएँ ::
वंश प्रभात

कवितानए पत्ते
इंद्रधनुष
Continue Reading

सबसे बड़ी बात है करुणा!

जनवरी 8, 2024
जनवरी 8, 2024

राजकमल चौधरी के कुछ उद्धरण :

उद्धरण
इंद्रधनुष
Continue Reading

नव वर्ष २०२४: संपादकीय

जनवरी 1, 2024
जनवरी 1, 2024

संपादकीय::
प्रभात प्रणीत

संपादकीय
इंद्रधनुष
Continue Reading

सिवान का शुक्ल पक्ष

दिसम्बर 31, 2023
दिसम्बर 31, 2023

कविता ::
प्रत्यूष चन्द्र मिश्रा

कविता
इंद्रधनुष
Continue Reading

हमें जिंदगी से क्या चाहिए?

दिसम्बर 24, 2023
दिसम्बर 24, 2023

डायरी::
तोषी

कथेतर
इंद्रधनुष
Continue Reading
Previous Page 10 of 75 Next

विश्व कविता

मैं सरल चीज़ों के पीछे छिपता हूँ

अगस्त 29, 2025

कवि का उचित अनुसरण करें

जनवरी 1, 2025

हम सपनों के अंत तक पहुँच रहे हैं

अगस्त 14, 2024

जो खो गया उसे मापा नहीं जा सकता

जून 14, 2024

घर शार्क का मुँह है

नवम्बर 23, 2023

कुंजियाँ

नए पत्तेकथेतरपछिया हवासाक्षात्कारगद्यडायरीकहानीभोजपुरीमैथिलीफ़िल्म-समीक्षापढ़तसंपादकीयकविता-भित्तिअंग्रेजी-साहित्यपुस्तक-समीक्षास्त्री-संसारकहानीउद्धरणविश्व कवितानए-पत्तेअनुवादलेखकविता

यूट्यूब पर

राजेश कमल सुचर्चित कवि हैं। 'अस्वीकार से बनी काया' शीर्षक से उनका एक काव्य-संग्रह प्रकाशित-प्रशंसित है। इंद्रधनुष की इस प्रस्तुति में यहाँ उनकी तीन कविताएँ (१. जयंती २. मेरा नायक ३. ईश्वर) कवि के स्वर में प्रस्तुत है।
राजेश कमल की कविताएँ | Rajesh Kamal
Load More... Subscribe

सब्सक्राइब करें

हमारे नए पोस्ट पाने के लिए अपना ई-मेल यहाँ लिखें :

कविता-भित्ति

मरा हूँ हज़ार मरण

अगस्त 20, 2023

सब जीवन बीता जाता है

अगस्त 13, 2023

आशाओं से भरे हृदय भी छिन्न हुए हैं

जुलाई 2, 2023

यहाँ जुड़ें

Twitter Follow me!

Facebook Follow me!

Instagram Our photos!

Telegram Follow me!

इंद्रधनुष

इंद्रधनुष

साहित्य के सब रंग

समाज में तेज़ी से विविधताओं और प्रतिरोध की विभिन्न संस्कृतियों पर हमले बढ़े हैं और साहित्य समेत सभी कलाओं पर राजसत्ता का प्रभाव क़ाबिज़ होता जा रहा है। जो स्वीकृति का तिरस्कार करता है उसे मिटा दिया जाता है। ऐसे में सच को सच की तरह कहना, संस्कृतियों के भीतर मौजूद अंतर्विरोधों को व्यापक रूप से समझना-देखना और शोषक तंत्रों की कारगुज़ारियों को साहित्यिक अन्वेषणों से उजागर करना और इन तंत्रों की मनमानियों की आलोचना ही इंद्रधनुष का उद्देश्य है। दर्ज करना और याद रखना।


Powered by Zwantum