कविताएँ :: राकेश कुमार मिश्र सरकारी यूनिवर्सिटी का प्रोफेसर मैं उतना ही पढ़ता और सोचता हूँ जितना ज़रूरत हो इस ज़रूरत को पूरा करने के लिए मैं कम से कम पढ़ता और सोचता हूँ कम से कम पढ़ते और सोचते…
कविता-भित्ति :: सुभद्राकुमारी चौहान सुभद्राकुमारी चौहान (१६ अगस्त १९०४ – १५ फरवरी १९४८) हिंदी कविता में स्थापित वह नाम है, जिनकी रचनाएँ स्वाधीनता की गुंजायमान प्रतिध्वनि पाठकों के अंतस में छोड़ जाती हैं। उनकी कविताओं को पढ़कर हम उनके रचे…
Poems :: Gyanendrapati, Krishna Kalpit & Anchit Translations: Ojachito Trilogy of Chetna Pareek Poems: The three poems translated at this attempt are “Tram mein ek yaad” by Gyanendrapati, “Chetna Pareek ki yaad” by Krishna Kalpit and “Chetna Pareek ki mrityu…
कविताएँ :: प्रदीप्त प्रीत आमंत्रण पाँच गुना चार की खिड़की से एक भरा-पूरा आकाश खुला है औंधे मुँह पड़ी है एक कूरा मिट्टी अवसन्न भभकती हुई दुःख और संत्रास में ताप से छिटकती हुई इस मिट्टी को इंतजार है तुम्हारी…
कविताएँ : तो हू अनुवाद : अरुण कमल झाड़ू की आवाज गर्मी की रात जब कीड़ों की आवाज़ भी सो चुकी है। मैं सुनता हूँ ‘त्रान फू’ पथ पर नारियल के झाड़ू की आवाज़ इमली के पेड़ों को नींद से…
