कविताओं की बात:: केदारनाथ सिंह को पढ़ते हुए : उत्कर्ष बुनाई, नदी, भाषा, शहर, लोग, प्रकृत्ति और गर्म हाथों का महात्म्य. ” मैं पिछली बरसात से उसे देख रहा हूँ वह वहाँ उसी तरह खड़ा है टूटा हुआ…
फ़िल्म-समीक्षा :: सुधाकर रवि एक दृश्य है जहाँ मुख्य पात्र क्लेओ समंदर में डूब रहे अपनी मालकिन के दो बच्चों को बचाने जाती है. क्लेओ को तैरना नहीं आता, और संभव है वह खुद भी डूब जाए, लेकिन बारी-बारी वह…
लेख:: सोने की चिड़िया : प्रभात रंजन प्रणीत हमारे देश को कभी सोने की चिड़िया कहा जाता था, क्या सच में ऐसा था? क्या सच में कभी यह देश इतना विकसित और समृद्ध था कि पूरी दुनिया हम पर रश्क करती…
डग्लस डन की कविता :: अनुवाद : अंचित डग्लस डन स्कॉटलैंड के प्रसिद्ध और बड़े कवियों में से हैं. उनके दस कविता संग्रह और रेसीन के अनुवाद ‘ऐंड्रामकी’ की ख़ूब चर्चा होती है. 1984 में उनकी पत्नी की कैन्सर से…
Poems :: Himanshu Ranjan An Itch On The Acnestis Drowned in the dead sea of memories, half alive-half dead persists a compunction. Reeking imagination. In that posture, sucking up underground the reservoir of the life lived and failing. The itch…